कोरोना की हार- मेरा कोरोना वर्ष अनुभव 23

sakhi talk आ सखी चुगली करें

कोरोना अनुभव : कोरोना के नाम एक पत्र

सुनो कोरोना

तुम्हारे अप्रत्याशित आगमन से हम खुश तो कतई नही,यद्यपि हमारे देश मे अतिथि देवो भव का संस्कार है। तुमने इस अमर्त्य लोक में मृत्यु का तांडव मचा दिया। चारो ओर हाहाकार है भागती दौड़ती दुनिया मे अचानक रोक लगाकर पता नही तूने अच्छा किया या बुरा,पर हम सनातन देश वासी हर बात में ईश्वर का कोई अर्थ ढूढते हैं।हमें याद आ रहे है अपने जड़।हम लौटना चाह रहे है आयर्वेद की तरफ,हम याद कर रहे है हलाहल पीने वाले शिव को।

कोरोना तुम्हारी वजह से हम अपनो से दूर हुए।तुम्हारी वजह से हमे पासपोर्ट धारक होने पर लज्जा आयी।तुम्हारी वजह से हमारे प्रिय हमसे बिछड़ते जा रहे है।पर तुम हो वो वजह की कुछ दूरियां भी मिट गयी।हम अपने आसपास के लोगो से आत्मिक नजदीकी बना रहे है।पड़ोसी को पहचान रहे है।

हा सुनो जाना तो तुम्हे पड़ेगा ही,अंधेरा ज्यादा दिन नही टिकता, पर तुमने हमे अभावो में जीना सीखा दिया।

हम तुमपर भी विजय पाएंगे,मंजू सखी के संगीत हमे जीना सीखा रही है।अंजना सखी बचपन मे ले जाकर खड़े कर देती है।कुसुम सखी अपनी कला से सबका मन जीत ही रही है,हम बाहर न निकले तो सखी हाट से भी खरीदारी कर ही ले रहे है।
हम न हारे है न हारेंगे।

तुम जितना चाहे कूद लो,बिना चुगली करे हम नही मानेंगे।

लेखिका- भारती सिंह