नवाबी तैमूर का उदय और कपूर बहनें

taimur kareena saif rise of nawabi taimur and kapoor sisters

नवाबी तैमूर का उदय और कपूर बहनें rise of nawabi taimur and kapoor sisters

करीना कपूर की मां का मूल नाम बबीता शिवदासानी है। रणधीर कपूर से बबीता के दो पुत्रियां हुई। पहली पुत्री का नाम करिश्‍मा और दूसरी का करीना है। फिल्‍मी दुनिया की शुरूआती चकाचौंध के बाद स्‍टार का एक मिनिमम स्‍टेटस बन जाता है, यानी उससे नीचे उतरने का मतलब मरना होता है। जिस प्रकार कमल जल के साथ चढ़ता है और जल के उतरने पर मुरझा जाता है, उसी प्रकार फिल्‍मी हस्तियों की स्थिति होती है, लेकिन इनमें कुछ जीव जीवट वाले होते हैं।

बबीता ने नहीं मरने का फैसला किया, लेकिन समय की धार ने खुद उसको मंद किया और उसे दो बेटियां दे दी। अब बबीता ने न केवल अपनी पुत्रियों के लायक होने का इंतजार किया बल्कि उन्‍हें लायक बनाने के लिए तमाम प्रयास किए।

बबीता जानती है कि हिंदी फिल्‍मों में हीरोइन की जिंदगी क्‍या होती है, पांच, दस या अधिक खींचो तो पंद्रह साल तक खिंच जाएगी, फिर तो हिरोइन को खत्‍म होना ही है। या तो कैरेक्‍टर रोल में आए या फिर चकाचौंध से खुद ब खुद दूर होकर अपनी गृहस्‍थी बसा ले। सेलिब्रिटी स्‍टेटस बहुत कुछ मांग करता है, खासतौर पर जिस्‍म और दिमाग, इन दोनों के खर्च होने पर पैसा और शोहरत मिलती है।

अब जिस कन्‍या के ये दोनों खर्च हो चुके हों, विरजिन की मांग करने वाली इस दुनिया में कौन उसे पूछेगा, ऐसे में खोज शुरू होती है ऐसे इंसान की जिसे अपनी शोहरत में इस माल की जरूरत हो।

ऐश्‍वर्य राय से पहले करिश्‍मा की मांग बच्‍चन परिवार में थी, अभिषेक का कॅरियर सिरे नहीं चढ़ रहा था और परिवार की स्‍टार वैल्‍यू लगातार घट रही थी, ऐसे में करिश्‍मा को अभिषेक के करीब किया गया। एक समय के बाद बबीता जो अब तक अपनी पुत्रियों की कमाई पर सर्वाधिकार रखती आई थी, उसने अपनी शर्तें स्‍पष्‍ट कर दी।

खुद अमिताभ और जया इसी तालाब के बड़े मगरमच्‍छ हैं, उन्‍होंने शर्तें झेलने से इनकार कर दिया, आखिर कायस्‍थ और सिंधियों की डील खराब तरीके से खत्‍म हुई। बाद में बबीता ने काबिल बिजनेसमैन खोजकर करिश्‍मा को सेट कर दिया, तब तक करीना स्‍टारडम तक पहुंच चुकी थी। अगला करीब दस साल का दौर करीना का होना तय था, वही हुआ भी। करीना ने हर संभव तरीके से कमाई की और बबीता का पोषण किया।

अब यहां कहानी में कुछ हद तक ट्विस्‍ट आया कि करीना को पंकज कपूर का छोरा पसंद आ गया। वह खुद संघर्ष कर रहा था और इंडस्‍ट्री की रग पहचानता था। इस बीच करिश्‍मा का बेमेल रिश्‍ता भी साहिल देखने लगा था। ऐसे में बबीता ने अपने तरीकों से शाहिद और करीना का अलगाव कराया। आखिर में सैकण्‍ड हैंड जवानी उन दिनों फ्री थी, सो वहीं पर नजदीकियां बढ़ाई गई। आखिर नवाब मिल रहा था, उससे भरोसा भी कि करीना की कमाई के दौर के बाद भी बबीता को किसी प्रकार की फिक्र करने की जरूरत नहीं रहेगी। सो करीना पटौदी खानदान में अमृता के बाद दूसरी बहू बनकर आई।

अब पटौदी खानदान को सैकण्‍ड हैंड चराग भी मिल गया है, पहले नवाब को अमृता पैदा कर चुकी है, ऐसे में सेकेण्‍ड हैंड नवाब को किसी सूरत में कवरेज नहीं मिलना था, सो दक्षिणपंथ की ओर झुक रहे देश को तैमूर परोसा गया। नेपथ्‍य की ओर जा रहा परिवार एक बार फिर लाइमलाइट में है। नवाब पटौदी को दो चार और अच्‍छी फिल्‍में मिल जाएंगी, तब तक तैमूर पैरों पर चलने लगेगा और करीना फिर फिगर सुधारकर नाचने गाने लगेगी।

बस इतनी सी कहानी है, कहानी में सिर्फ अपने अस्तित्‍व की जंग का दर्द है और कुछ नहीं, कोई सांस लेने के लिए संघर्ष करता है कोई एवरेस्‍ट पर चढ़ने के‍ लिए, फिल्‍मी सेलिब्रिटी खबरों में बने रहने के लिए, चाहे नंगे होकर आएं या चमकते लिबास में।

(अधिकांश तथ्‍य पुख्‍ता लोगों से सुने सुनाए हैं, निजी तौर पर किसी को नहीं जानता)