हमारे यहां एक महाराज हैं, नाम नहीं लूंगा, लेकिन कहानी बताता हूं। धन का पता नहीं लेकिन महाराज तन-मन से कांग्रेसी थे, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बाद में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिल से पसंद करते थे। उनकी एक ही इच्छा थी कि उनकी शादी हो तो केवल प्रियंका से ही हो।

लड़कपन से ही इस बारे में सीरियस हो गए, जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो मित्रों ने पूरा साथ दिया और महाराज की भावना दिन प्रतिदिन प्रबल होती गई। घर वालों ने पहले तो सोचा कि महाराज जवानी के जोश में नादानी कर रहे हैं, लेकिन कुछ समय बाद जब अच्‍छे घरों से आए रिश्‍तों को भी महाराज ने यह कहकर दुत्‍कार दिया कि उनकी बात प्रियंका से चल रही है तो घरवाले थोड़े चिंतित हुए।

अब घर वालों ने दोस्‍तों को समझाया, खुद भी प्रयास किया और बताया कि प्रियंका अभी पढ़ रही है, शादी में वक्‍त है, तब तक वह भी पढ़ाई में ध्‍यान दे और अपना कॅरियर बनाए, महाराज थोड़ा संभलने लगे थे कि एक दिन राजीव गांधी का दौरा बीकानेर हो गया, महाराज तो बिल्‍कुल बावले ही हो गए।

महाराज का विचार था कि ससुरजी उन्‍हें देखने ही बीकानेर आए हैं। इधर राजीव गांधी किसानों को हरी के बजाय लाल मिर्च उगाने की सलाह देकर निकल लिए, उधर दोस्‍तों ने यह कहकर पूरा वैर साध लिया कि राजीवजी को तुम पसंद आ गए हो।

महाराज के पैर जमीन पर पड़ने ही बंद हो गए, साइकिल पर बैठते तो पैडल पर भी पांव नहीं धरते, दूसरों से ही धक्‍का मरवाकर चलते। कई दिन ऐसा ही चलता रहा, आखिर में महाराज की दवा दारू चालू होनी थी, सो हो गई। दवाओं के असर से शांत हुए महाराज के लिए शहर में लड़की मिलनी मुश्किल थी तो आखिर किसी गांव की गरीब ब्राह्मण कन्‍या का चुनाव किया गया। घर में गणेश बैठ गए और शहर में बधाइयां बंट गई।

विवाह के लिए बसें भरकर बारात गांव पहुंची। दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों ने महाराज को घेरे रखा, ऐन फेरों के वक्‍त महाराज उठकर खड़े हो गए, बोले यह प्रियंका नहीं है, मेरी शादी तो उसी से हो सकती है। ऐसा कहकर अपने ही विवाह मंडप में तोड़-फोड़ कर भाग छूटे।

आज भी महाराज गलियों में घूमते हुए प्रियंका को याद करते हैं और उन्‍हें उम्‍मीद है कि प्रियंका उनसे बेवफाई नहीं करेगी।

मोरल ऑफ द स्‍टोरी यह है कि ऊंचा उड़ना अच्‍छी बात है, लेकिन चंद्र खिलौने के लिए हठ कर अड़ जाना और मोदी का विरोध करना आपके मानसिक संतुलन के लिए ठीक नहीं।

नोट : यह पूरी कथा सच्‍ची है, महाराज आज भी इंतजार में हैं।