वन्दे मातरम् सखियों की जुबानी

sakhi talk vande matram

वन्दे मातरम् Vande Mataram Sakhi talk republic day 2018

हैसियत भुला बैठे हैं लोग हालात भूल गये
आज़ादी मिली तो सब अपनी औकात भूल गये

बिला वजह है बलवें असल मुद्दे हवा हुए
हम एक हैं क्यूं ऐसे सभी जज़्बात भूल गये

कोई हरा भगवा कोई बाकि का रंग ख़ाक
खुद घर जलाने वाले अमन की बात भूल गये

नासूर सा रिसता है मादरे वतन का दिल
हम एक थें हम एक हैं लोग ये ख्यालात भूल गये

हर नज्र है धोखा हर नजर मे फरेब है
सच पूछिए तो लोग अपनी ज़ात भूल गये

कफन बना कर झंडे को अब डंडा निकालिए
याद दिलाना होगा जो शहीदों की बात भूल गये

ऐ हिंद भले बिगड़े हैं तेरे कुछ शोहदे तो क्या
लौटेंगे जरूर कदमो मे तेरे जो साथ भूल गए

मेरे सवाल और जबाब दोनो हैं ये …

अपराजिता अनामिका बैतूल ( मध्य प्रदेश)


देश को मैं बहुत चाहती हूँ. मैं हमेशा नियम क़ानून का पालन करती हूँ. एक नागरिक के रूप में हम अपनी अधिकारों की तो खूब बाते करतें हैं पर मुझे लगता है कि सर्वप्रथम हमें अपने कर्तव्यों का भी भान होना चाहिए. मैं कोशिश करती हूँ कि सारे नागरिक कर्तव्यों का पालन मैं इमानदारी से करूँ. उत्तर दो) देश के लिए मैं क्या करना चाहूंगी? मैं वंचितों और पिछड़ों के बीच अशिक्षा को दूर करना चाहूंगी और उनमे शिक्षा के प्रति अलख जगाना चाहूंगी. इस दिशा में पहले भी मैं अपनी एक दोस्त के साथ काम कर चुकी हूँ. आगे भी इसे जारी रखना चाहूंगी. उम्मीद है ।।

रीता गुप्ता , रांची (झारखंड)


मैं अपने राष्ट्र से बहुत प्यार करती हूं , जब भी कोई राष्ट्रभक्ति का गीत सुनाई देता है मेरा रोम रोम आल्हादित हो जाता है।हम बहुत बरसों से 15 अगस्त, 26 जनवरी को तिरंगा लगाते है घर पर। जब भी कोई राष्ट्रद्रोह की बात करता है खून खौल जाता है।

हाँ मैं राष्ट्र के लिए बहुत कुछ करना चाहती थी और हूँ किन्तु दुर्भाग्यवश ऐसा मौका नहीं मिला ।मेरी जैसी बहुत बहने है वो या तो गृहणी है या कामकाजी , हम बस ईमानदारी से अपना कर्तव्य पालन कर ले तो देश के लिए यह योगदान भी बड़ा होगा। हम अपने बच्चो को अच्छे संस्कार दें जिससे वो अच्छे नागरिक बने उनमें देशभक्ति की भावना भरें यदि देश का एक-एक नागरिक में अच्छे संस्कार होंगे तो देश के लिए इससे अच्छी बात क्या होगी।

आज इजराइल जैसा छोटा देश इतनी जल्दी तरक्की क्यों कर गया जबकि उसके चारों तरफ दुश्मन है और जब वो एक अलग देश बना उस वक्त कुछ भी नही था फिर भी आज शक्ति के रूप में उभर रहा है क्यो?क्योंकि वहाँ प्रत्येक नागरिक देशभक्त है वहाँ की जनता ने अपना निजी स्वार्थ नहीं देखा राष्ट्रनिर्माण में भागीदारी निभाई ।हम भी अपने बच्चो में  यही भावना भरे जिससे आने वाले वक्त में हमारा देश भी राष्ट्रभक्तो वाला कहलाए। जय हिन्द

वंदेमातरम्

इंदू भारद्वाज बीकानेर (राजस्थान)


देश के लिए ख़ास तो मैं कुछ नहीं करती .. सालों से दूसरे देश में रहती हूँ …लेकिन इतना ज़रूर करती हूँ कि जब आते जाते या कहीं बाहर कोई भारतीय अपनी पहचान सिर्फ़ मराठी , गुजराती ,मलयाली या फिर ये कह कर बताता या बताती है कि हम तो up से हैं हम बंगाल से हैं या फिर मुझे तो मद्रासी पसंद ही नहीं हैं कह कर मिलता या मिलती है तो मैं एक बार उसे ये ज़रूर महसूस करवाती हूँ की सबसे पहले हम इंसान हैं ..और इस पराए देश में हम सब एक जैसे ,साथ रहने वाले हिंदुस्तानी हैं ..ना की बिहारी राजस्थानी या कुछ और …।
अक्सर मैंने यहाँ लोगों को भारत से उपर अपने समुदाय के लिए लड़ते हुए देखा है …हर कोई ख़ुद को अलग और बेहतर दिखाना चाहता है ….साउथ के लोग नॉर्थ के लोगों को पसंद नहीं करते …नॉर्थ के लोग मुंबई वालों को पसंद नहीं करते ….
मैं तो हर भारतीय से यही कहना चाहूँगी कि दिखावे की देश भक्ति छोड़ अनेकता में एकता की नीति को हमेशा थाम कर रखो …आपस में लड़ाई झगड़ा करने से अच्छा ख़ुद को इस लायक बनाओ की गर्व से कह सको मैं हिंदुस्तानी हूँ …क्यूँकि आम आदमी आज भी इस सोच से उबर नहीं पाया है कि वो जात में ऊँचा है नीचा है वो बिहार का है पंजाब का है …हम कहीं से भी हों एक दूसरे की भाषा जब तक समझ रहे हैं इंसान ही हैं …अच्छे बुरे हो सकते हैं गोरे काले हो सकते हैं …लेकिन हैं तो एक ही वतन के ….मैं तो बस इतना ही कहना चाहूँगी ..अपने देश से प्यार करिए,उसे साफ़ रखिए और इंसान को इंसान समझ कर उसकी मदद करिए …अपने घर अपनी गली और अपने इलाक़े के विकास में भागीदार बनिए …देश ही नहीं ख़ुद पर भी गर्व कीजिए कि आपने स्वतंत्र भारत में साँस ली है …गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाएँ। जय हिंद .

मंजू तिवारी , दुबाई , यूनाइटेड अरब अमीरात


मुझे लगता है मजदूर एवं गरीब तबके के लोगों मे परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता पैदा कर के मैं देश के उत्थान मे अपना कुछ योगदान दे सकती हूं ।शिक्षित वर्ग इसके महत्व को समझ चुका है ..जरूरत है कमजोर वर्ग को समझाने की.. और ये मैं कर भी रही हूँ । अपने सम्पर्क मे आने वाले महरी धोबी माली या मजदूर को मैं इसके फायदे बताती हूं कि वे अपनी ज्यादा बच्चे तो ज्यादा मजदूरी वाली सोच बदले और कम बच्चे बेहतर शिक्षा और बेहतर आमदनी को समझें ।

बहुत परिवारों को समझाने में कामयाब भी रही हूँ.. काश अगर हर कोइ परिवार नियोजन का महत्व समझ जाता तो अमीरी गरीबी की ये खाई इतनी गहरी न होती । फिर भी राह चलते आधे घूंघट से झांक़कर कोइ कहती है दीदी आप पहले क्यों नहीं मिली तो लगता है कुछ योगदान मैंने भी दे दिया.

भारती झा रांची (झारखंड)


अपने देश की सेवा मै एक छोटा सा काम उसके संसाधनो(जल और बिजली ) को बचा कर करती हूँ मै यहाँ शहडोल में रेंट पर रहती हूँ और यहाँ जो मकान मलिक हैं उनके यहाँ पानी की टंकी overflow होते रहती है मेरा रोज का एक काम मोटर बन्द करने का भी होता है जिस्से पानी फालतु बहने से बचता है क्योकी मकान चाहे जिसका भी हो संसाधन तो देश का है …

अर्चना सिंह , अम्बिका पुर


Sare jahan se acha hindustan hmara..kewel acha kahne se kuch nhi hoga ise acha bnana prega…bchpan me jb 26 jan ki prede dekhti thi to deshprem k karan rongte khre ho jate the..ghr k andr ka vatavrn bhi deshprem ki bhawna ko or bhi bda deta tha…yhi vajah thi k maine air force join krne ki sochi..selection bhi ho gya bt english medium nhi hone ki vajah se me interview clear nhi kr payi ..mann me ab tk kasak h to soch rhi hu agr meri beti me yhi bhawna usi tarah pnpe jis trah mujh me h to apne jiwan ko safal smjhu…me jyada se jyada rojgar k awsar paida krke deshsewa krna chahti hu..ek baat share kr rhi hu…hmare mohlle me roads ki safai ki koi vyavstha nhi h…or ek ldka mere pas hr dusre din bchi hui roti mangne aata b..ek din maine uhse kaha k kaam krke roti kmao to kahta k koi kaam nhi deta mujhe…maine kaha k aaj ghr k aage ache se safai kr to me tujhe paise bhi dungi..uhse idea pasand aaya or safai shuru kr di…ye dekhkr baki padosh k ghr se bhi log bahr aakr uhse khud k ghr k aage ki safai k liye bolne lge or paise ki baat bhi tay ho gyi..ab hr hafte vo safai k liye aata h bt roti mangne nhi aata..uhse rojgar bhi mila or hmare mohlle ko safai…or mere dil ko thora sa sukun…jai hind sakhiyo

रेखा गुलशन गाजरा , गंगानगर


हम एक जिम्मेदार नागरिक बनकर ही देश के प्रति जो कर्तव्य है उन्हे निभा ले वही देशसेवा है..जिसे हमे अपने शहर से ही शुरू करना है..बहुत सुखसुविधायें मिली हुई हैं सरकार से लेकिन उसके साथ अपनी नैतिकता का भी योगदान देश सेवा हैं..

जहाँ की हवायें भी दुलारे.
जहाँ की बौछारें भी पुचकारें.
धरा भी गोद बन जाती.
तिरन्गा आंचल है जिसका
लिपटी रहूँ उस माटी से
ऐसे मेरे वतन पर मेरी जान
न्योछावर हैं..

नीति जैन , मेरठ


आप सभी की उम्मीदों की यह प्रज्जवलित लौ साकार हो, बस यही कामना है ……मै अपनी देश सेवा के रूप मे विशेष रूप से बच्चियों को (बेटियो को ) निशुल्क शिक्षा देना चाहूंगी ….ताकि शिक्षित होकर आत्मनिर्भर बन सके व समाज मे सम्मान के साथ जीवन जी सके !!

रेणु ग्रोवर , हनुमान गढ़


मेरा यही मानना है इंसान चार अच्छी किताबे पढ़ ले चार अच्छे इंसान के पास बैठ जाये या फिर अच्छी अच्छी बातें सुन ले कुछ नही होगा। पहले तो हमें अपने आप के सोच को बदलना होगा। इसलिए हम सब एक है ये समझना बहुत ही आवश्यक है। जातिवाद से उठकर हमे एक ऐसे मार्ग को बनाना होगा जहाँ कोई भेद भाव ना हो कोई ऊंच नीच की रोड़े ना डालेंगे। हम भारतवासी हम सब एक है यही सोच ले और इसी पर मनुष्य अपनी अच्छी मानसिकता की परिचय दे दे तो अपना भारत को प्रगति के द्वार तक जाने से कोई नही रोक सकता है क्योंकि प्रगतिशील भारत का सपना हम इसी सोच की पहली सीढ़ी पर चढ़ कर किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते है . इस देश का भलाई जहाँ इतने सालों से कहा जाता है तुम कमजोर हो कमजोर ही रहोगे अगर हम मजबूत है तो उसे सहारा देंगे ना कि धक्का देकर गिराने की कोशिश करेंगे … यही तो हम बचपन से देखते आये है एक उठाने वाला है 10 गिराने वाला है तो हम क्या करेंगे … बोलने और करने में बहुत फर्क है बहुत बार हमने इस जीवन में अबतक अनुभव भी की हूँ .. पता नही कब सुधरेगा क्या हम बीर लोगों को याद कर के भी कर पायेंगे

देश के उत्कर्ष हित मैं, मन उड़ान जब भरता है
तब क्रांति और संघर्षों में ही नवजीवन पलता है
तब प्रेरक बनती है क्रांतिकारियों की आन शान
तब इच्छा होती मर जाऊं, मिट जाऊं, हो जाऊं मैं कुर्बान
सत्य रहेगा जब ज़ुबान पर पूर्णकाम हम होंगे
सुफल मिलेगा हमको जब, दृढ़संकल्पित मन में होंगे
अब चाहे जितने आएं जीवन में संकट के तूफ़ान
हम भारतवासी डटे रहेंगे, लिए हमेशा अधरों पर मुस्कान

बहुत कुछ करने की तमन्ना है इस दिल में फिलहाल लोगों में अपनापन की भावना ही ला दूँ तो मैं समझुगी की मेरा जीवन सफल हो गया ..

रश्मि प्रभाकर रांची (झारखंड)


Baichitra se bhara hai mera bharat jaise ke anek ritu anek bhasa anek jaat anek dharm bibidha pakwan bhasa mey paribesh mey paridhan mey Yeh sab anekata mey humara ekta hai. humara sanskar humare achran humare maryada hum bharatbasi ki sabse alag pehchan hai han iski babjud bhi kahi kuch kamiya dekhne ko milta hai. iss kamiya ko dur karne k lea changes jaruri hai pad itna kuch change karna mushkil hai lekin namumkin nahi sabse pehle apne aapko change karna jaruri h kamse kam ek toh change honge achhi batein karne se changes nahi ati h usko apna rojmarra zindegi mey bhi apply karna hota h
Kuch bhi h phir bhi mein kahungi

AAN BAAN SHAAN
HUM HAI INDIAN
Jai hindJai bharat

चन्दा विजय , नई दिल्ली


हम खुद व अपनों के लिए तो बहुत कुछ सोचतें हैं पर ये देखकर बहुत कष्ट होता है जब लोग अपनें स्वार्थ की खातिर देश हित में सोचना बंद कर देतें हैं।हममें ही कुछ लोगों का कहना है कि देश में भ्रष्टाचार है,इसका कुछ नहीं हो सकता….देश का सिस्टम ही खराब है। हर कोई कहता और चाहता है कि भ्रष्टाचार की बीमारी को मिटना चाहिए….. पर कौन मिटाऐंगा? हर कोई सवाल पूछता है और जबाब जानना चाहता है।हम दूसरों की तरफ इशारा कर देतें हैं…… क्या हमारा कोई योगदान नहीं?हम तो यही सोचतें रह जातें हैं कि हम क्या कर सकतें हैं?? मेरा कहना है कि ये हम और आप ही मिल कर सकतें हैं।

अगर आज मैं अपनें बच्चों को स्कुल की शिक्षा के साथ साथ अच्छें संस्कार देती हूं तो उनसें एक अच्छा समाज बनेगा जो देश के काम आएगा , हम कह तो देतें हैं कि दुनिया खराब है पर क्या ये सोचतें हैं कि हम अच्छें बनेगें तो समाज भी अच्छा बनेगा।हमारेंं बच्चों का ज्यादा वक्त समाज में ही बीतता है।स्कूल की शिक्षा से डिग्री मिलेगी ,पर एक अच्छा इंसान हम बना सकतें हैं और अगर हम ईमानदारी व लगन से काम करें तो भ्रष्टाचार स्वतः ही मिट जाऐगा।

हम सभी के मन में देश प्रेम, मातृभूमि से प्रेम, त्याग, स्वाभिमान, हमारीं पंरपरा और संस्कृति का भाव होना चाहिए।हमें जिंदगी जीनें के लिए धन-दौलत और शौहरत की जरुरत होती है पर यही सबकुछ नहीं।हम खालीं हाथ आए थे और खाली हाथ जाऐंगे…. इस कहावत को हकीकत में लाए।देश के लिए जान देना ही सिर्फ देशप्रेम नहीं है ,हमें देश को खोखला करनें वालें लोगों से भी देश को बचाना है। हम गलत देखतें हुए भी उसका विरोध नहीं करते।

अगर हम अपनें देश के नव निर्माण में कुछ सहयोग करना चाहतें हैं तों हमें छोटें छोटें कामों को अपना समझकर सभ्य नागरिक की तरह कार्य करना होगा।मैं अपनें देश व समाज के प्रति ये धारणा रखतीं हूं कि मैं अपनी छोटी मोटी कोशिश ही सही…..जारी रखूं ताकि ये बढें और सभी अपना अपना योगदान दें।हम अपनें देश के लिए जान ना सही थोडा़ दिल ही कुर्बान कर दें…..हम आगें बढेंगें धीरे धीरें कारवां बढ़ता ही जाऐगा। जय हिंद जय भारत

अंजना सिंह, रांची (झारखंड)


हमारे देश की पहचान अनेकता में एकता है। मैं अपने देश के प्रति प्रेम से दो लाइन लिख रही हूँ बस यहीं आपको दर्शायेगा मेरा देश प्रेम। मैं भारतवर्ष का हरदम सम्मान करती हूँ। यहाँ की संस्कृति की मै हरदम गुणगान करती हूँ। मुझे चिंता नहीं स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की, तिरंगा हो कफन मेरा बस यहीं अरमान रखती हूँ।

जब देश के लिए कुछ करने की बात आती है तो उसकी शुरूआत आप अपने घर से करिए उसमें संस्कार देगे तो एक घर से दूसरे घर अपने आप चैन बनती जायेगी। हमें देशप्रेम के लिए कहीं जाने की जरूरत ही नहीं पङेगी सब अपने आप होता चला जायेगा

सुषमा शर्मा ,कोलकात्ता


मैं सुबह की सैर करने जाती हुँ, पिछले कई दिनों से मैने देखा कि फुट वे पर कुछ कुछ अंतर पर महानगर पालिका ने पिपलके पेड़ के पौधे लगाए हुए है जो ज्यादा हवाके चलते झुक जाया करते थे।उन्हें बचाने के लिए पतली तार से उनको बांधकर आधार दिया गया था। पर अब देख रही हूं तो कुछ अनाड़ी ओने तार तोड़ दिए और रस्ते पर दिखे।सुबह चलने वाले सभी मुसाफिर को अपनी मंजिल को ध्यानमे रखकर चलते हो ,किसीके पेअर मेँ आकर गिरने ,घायल होने का पूरा ख़तरा रहता था। तो मैं जब भी ऐसी तार को पथ पर देखती हूँ, उठाकर लाईट पोल से बांध देती हैं,इसी कामको देखकर दूसरे लोग भी मेरी मदद करने आते है।
कुछ अच्छे ईरादे से किये हुए सरकारी कामों को बिगाड़ने में लोगों को क्यों मजा आता होगा ये समज में नही आता। ऐसी तार हर दूसरे तीसरे दिन कटकर गिरी होती है ,कोई बुजुर्ग के पैरों में आने से कितनी तकलीफ होती होंगी? ये कोई क्यों नही सोचता!?

चंद्रलेखा राव


मेरा मानना है कि हम सब देश की रक्षा के लिए बंदूक उठा कर सेना में नहीं जा सकते.. लेकिन देश सेवा के लिए बंदूक उठाना जरूरी नहीं है.. हम जहाँ है.. जैसे है अपनी भूमिका को पूरी ईमानदारी और कर्तव्य बोध के साथ निभाए तो भी हम देश की उतनी ही सेवा करेंगे.. जैसे मैं शिक्षिका हूँ तो मेरा दायित्व है कि मैं अपने विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान के अतिरिक्त ऐसी शिक्षा दूँ कि वे भी जिस क्षेत्र में जाए अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन कर राष्ट्र के विकास में सहभागी बनें। वे डाक्टर बने, इंजीनियर या कुछ और…. क्यूंकि राष्ट्र की पहली ईकाई व्यक्ति ही है। आज किसी युवा से पूछिए क्या बनना है और क्यूँ… जवाब मिलेगा इंजीनियर बनना है या डाक्टर बनना है क्योंकि पैकेज अच्छा मिलेगा लेकिन कोई ये नहीं कहता कि यह बनना है ताकि मैं देश सेवा कर सकूँ। तो बस मैं अपने विद्यार्थियों को देश के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनाना चाहूँगी क्योंकि अभी मैं वही कर सकती हूँ। जय भारत

डॉ अन्नपूर्णा सिसोदिया , अशोकनगर


मेरी चाह…जब भी tv पे 26 जनवरी की परेड देखती हूं। एक ख्याल ज़रूर आता है मन मेंं, जिन जवानों के कारण , हम यहां चैन से बैठे हैं… कम से कम एक दिन हम उन के नाम कर सके…आज 26 जनवरी को, वो अपने परिवार के साथ बैठ के
दे विहृगम दृश्य देखें…हम उन के स्थान पे देश के पहरेदार बन सकें, बस एक दिन… काश

विजय भार्गव


सबसे पहले तो मैं देश के लिए कहती हूँ की मेरा देश ही सबसे महान है। जैसे मैं अपनी माँ को चाहती हूँ , वैसे ही देश को चाहती हूँ। विदेशी चीज़ें लालायित हो कर नहीं खरीदती। घर से बाहर जहाँ भी फ़ालतू की बिजली -पानी व्यर्थ में बर्बाद हो रहा हो , उसे बचाती हूँ। सड़क पर पड़े पत्थर – कांटे , अगर कहीं पड़े होते हैं तो उठा कर हटा देती हूँ। मजबूरों की हर संभव लेकिन भिखारियों की कतई नहीं सहायता करती हूँ। ऐसे और भी बहुत सारी बातें है जो मैं देश हिट के लिए करती हूँ। मेरा विचार है कि हर कोई सरहद पर जा कर लड़ नहीं सकता है तो हम देश वासी अपने-अपने कर्तव्य सही से निर्वाह करें तो देश बहुत आगे जा सकता है।

उपासना सियाग , अबोहर , पंजाब


main jab bhi rastra gaan sunti hoon ankhon main bahte paani ko rok nahin paati…itana dil ki gahraayi se prem hai desh se ..par main desh main dharm ke peechey…jaati paati ke peechey logon ko ladtey dekhna nahin chahti…chahti hoon sabhi apne aur dooosron ke dharm ka samman karein…jaatiyaan us yug main karya padhti ke liye baanti gayin par aaj sabhi sabhi kaam karte hain samaj main…apna yogdaan dete hain samaj desh ke vikas main…sabhi jaatiyaan miljul kar desh ko aage le jaayen yahi deshhit main hoga…iske liye grahniyaan jo maa bhi hain apne bach chon main achchi soch aur sahi raah dein wo bhi desh ke liya bahut bada yogdaan hoga…unhe samjayen jaise ghar par adhikar hain tau apno ke prati kartavya hain theek waise desh se aap adhikaar mangtey hain tau kartavya bhi zaroor seekhayen..seekhein..

रामेश्वरी , नई दिल्ली


व्यक्तिगत तौर पर क्या करती हूं वो में आपको बताती हु की घर के कामो में जो भी पानी का काम ह वो काम कम से कम पानी काम मे लेकर करती हूं और अपने बेटे को भी यही सिखाती हु की पानी का दुरुपयोग न करे।जब खाना बनाती हु तो इतना बनाती हु की बिगड़े भी नही और पूरा भी हो जाये और अगर बच भी जाये तो उसे कचरा लेने आता ह उसे दे देती हूं कचरे के डब्बे में नही फेकती हु ताकि किसी भूखे के पेट मे जाए और मुझे ये खुशी मिलती ह एक किसान ने मेहनत से अन्न उगाया वो व्यर्थ नही गया ह।

घर के आस पास गन्दगी नही फैलाते ह घर के साथ साथ आस पास की भी सफाई रखती हूं और ट्रेन में ह चाहे कार में ह खाने के बाद का जो भी कचरा होता कूड़ेदान में ही डालते ह और अपने 5 साल के बेटे को भी यही सिखाती हु। अपने मतदान का सही प्रयोग करती जिससे देश का भला हो उसे ही चुनती हु। भविष्य में कुछ गरीब बच्चों को पढ़आने का खर्च में उठाउंगी ।
इन्ही छोटी छोटी बातों को करके भी लगता ह में अपने देश के लिए कुछ कर रही हु,कभी कुछ बड़ा करने का भी मौका मिला तो वो भी जरूर करूँगी। में जो करती हूं वही में लिख दी पूरी इमानदारी से। जय हिंद

संगीता व्यास ,जयपुर ,राजस्थान


भारत मुझको जान से प्यारा है😍😇🇮🇳
मुझ से परिवार है
परिवार से गांव या शहर
गांव या शहर से देश…
मैं सुधरी तो जग सुधरा..
प्रत्यक्ष रुप से तो मैं कुछ कर नही पा रही लेकिन जो भी कार्य करती हूं उसे निस्वार्थ भाव से व बिना किसी भेदभाव के करती हूं।अपने कार्यक्षेत्र में भी सौ फीसदी या कहूं कि एक सौ दस फीसदी देने की कोशिश रहती। मैं क्या कर रही …ध्यान केवल इसी पर रहता…स्कूल के बच्चों को नैतिकता, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना।जरूरतमन्द छात्रो की हर संभव मदद करना।भावनात्मक रुप से भी मैं बहुत जुडी़ रहती सभी विद्यार्थियों से…समय समय पर उनकी मानसिक व पारिवारिक समस्याओं के बारे में भी रुचि लेकर समाधान करने की कोशिश रहती।जो मुझसे बन पडे़.. घर के खस पास सार्वजनिक सम्पत्ति का नुकसान भी बर्दाश्त नही होता।बेटियां भी इसी रास्ते पर… अंत में यही कहूंगी कि हर कदम हमारा राष्ट्रहित में हो…ईर्ष्या, राग,द्वेष,जाति पाति से ऊपर उठकर …मैं ही भारत हूं..यही सोच रहे सदा मेरी… जय हिन्द…वन्देमातरम

अनिता चौधरी , सीकर ( राजस्थान)