बर्दाश्त की हद Intolerance of liberals
महोपाध्याय बनवारीलालजी ने आज इतिहास कथन व्यक्त किया, उन्होंने कहा
“अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे”
अब आगे की आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि क्या होने वाला है। शर्म आनी चाहिए संस्थाओं, सरकार, मीडिया और देश के बच्चे बच्चे को। डूब मरना चाहिए हर पानी के कुंड के पास खड़े व्यक्ति को, जल मरना चाहिए हल्की बारिश के बाद जलेबी की भटि्टयों से ताप लेते भीरू व्यक्तियों को।
जमूरा : बनवारीलालजी हैं कौन ??
तूं महोपाध्याय बनवारीलालजी को नहीं जानता? तुझे यह भी पता नहीं कि घंटाघर एसोसिएशन से “विश्व सलाही” और लाल चौक प्रगति संगठन की ओर से उन्हें “ब्रह्माण्ड अजातप्रिय” जैसे सम्मान मिल चुके हैं। कचौड़ी ठेला यूनियन ने उन्हें चंदा एकत्र कर शॉल और श्रीफल के साथ 1100 रुपए से नवाजा हुआ है। पूरी दुनिया उनका लोहा मानती है, और तूं उन्हें जानता नहीं?
कितना अज्ञ है तू ? पहले तो तुझे भीषण ज्ञान यज्ञ कर अपनी अज्ञानता को ज्ञान के ताप से दूर करना होगा। बनवारीलालजी देश ही नहीं विश्व कल्याण और ब्रह्माण्ड की एंट्रॉपी को दुरुस्त रखने के लिए इतना बड़ा कथन कर चुके हैं और तूं है कि उन्हें न जानने का ढोंग करते हुए रजाई के भीतर मुंह छिपाना चाहता है। हम ऐसा होने नहीं देंगे, अभी इतनी ठंड भी नहीं आई कि तूं रजाई में मुंह छिपा सके, कम से कम कार्तिक पूर्णिमा तक तो कतई नहीं, तब तक श्वान मण्डली का रथ्य प्रसंग भी परवान पर रहेगा, अगर देश कल्याण की बातों से बोर होने लगें तो कुछ देर उसका अवलोकन कर, और फिर से विश्व कल्याण में बनवारीजी का सहयोग देने का उपक्रम कर।
जमूरा : आखिर बनवारीजी ने इतना भीषण(?) कथन जारी ही क्यों किया है ? ऐसी क्या आपदा आ गई है देश में ?
मूर्ख तुझे देश की पड़ी है, यहां पूरी दुनिया पर संकट गहराया हुआ है। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है, बच्चा बच्चा रो रहा है, महिलाओं के आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे, हर कोई डर से कांप रहा है, मानवता जार जार है….
जमूरा : आप आईएसआईएस और सीरिया की बात कर रहे हैं ??
“…”
जमूरा : वास्तव में समस्या क्या है ?
समस्या का मर्म समझने के लिए तुझे देश की वर्तमान स्थिति को समझना होगा। अभिव्यक्ति का गला घोंटा जा रहा है। सोशल मीडिया पर तो गुंडों ने कब्जा कर लिया है, एक बात कहो नहीं कि दस बातें वापस सुना जाते हैं लोग, बनवारीजी को भी गांठना बंद कर दिया है। न सरकार में उनकी कोई सुन रहा है न जनता में। एक मेनस्ट्रीम मीडिया का भरोसा था, लोगों ने उसे भी सीरियस लेना बंद कर दिया है। ऐसे में कहा जाए विश्व रक्षक ?? आखिर आजिज आकर बनवारीजी को कहना पड़ा… “अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे”
जमूरा : लेकिन समस्या क्या है हकीकत में….
“चोप्प!!!”
Illustration : pawel kuczynski