धनिया लगभग हर घर में मौजूद होता है। सूखा धनिया पाउडर डालकर रोजाना सब्जी बनाई जाती है। धनिया पत्ती से दाल, सब्जी आदि को सजा कर परोसा जाता है जो एक अलग ही स्वाद और सुगंध देता है तथा इनकी सुन्दरता बढ़ाता है।
किसी सब्जी में सूखा साबुत धनिया डाला जाता है। सब्जी में उपयोग में आने वाले गरम मसाले में भी इसे मिलाया जाता है। साबुत धनिए को तवे पर भूनने से इसके स्वाद और गंध में बढ़ोतरी हो जाती है।
हरे धनिए की चटनी भोजन को सम्पूर्ण और पौष्टिक बनाती है।
धनिए की दाल Dhana dal भी बनाई जाती है जो मुखवास के तौर पर खाई जाती है। कहीं कहीं धनिए की जड़ का उपयोग सूप आदि में किया जाता है।
विदेशों मे धनिया पत्ती को सिलेन्ट्रो Cilentro या चाइनीज पार्स्ले Chinese Parsley के नाम से जाना जाता है तथा साबुत धनिए को कोरिएन्डर Coriander कहते हैं। दुनिया भर में धनिए का उपयोग हजारों सालों से पाचन क्रिया को सही रखने के लिए किया जाता रहा है।
धनिए की तासीर ठंडी होती है। हरा धनिया पित्त विकार में लाभदायक होता है। धनिया कोलेस्ट्रॉल , ब्लड प्रेशर तथा रक्त में शक्कर की मात्रा को कम करता है।
साबुत धनिया पीसने के बाद इसकी खुशबू और स्वाद उड़ जाते हैं । इसलिए इसे ताजा पीस कर ही काम लेना चाहिए। इसे आसानी से मिक्सी आदि में पीसा जा सकता है।
धनिए में प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट , फाइबर , विटामिन A , विटामिन C , विटामिन K तथा खनिज के रूप में कैल्शियम, आयरन , मेग्नेशियम फास्फोरस , मेंगनीज तथा सेलेनियम पाए जाते हैं।
इसके अलावा इसमें कई प्रकार के लाभदायक फीटो न्यूट्रिएंट्स, फ्लेवोनोइड्स , तथा फेनोलिक कम्पाउंड पाए जाते हैं। यह शरीर से विषैले तत्व को बाहर निकालने में सहायक होता है , फ्री रेडिकल से होने वाले नुकसान से बचाता है।
धनिया तनाव को दूर करके नींद लाने में सहायक होता है। यह त्वचा की परेशानी से मुक्ति दिला सकता है।
पेट की परेशानी तथा पाचन तंत्र के लिए धनिया एंटी स्पेज्म की तरह काम करता है। इससे पेट के दर्द में आराम मिलता है। यह पेट की मांसपेशियों संकुचन के कारण होने वाली ऐंठन तथा आईबीएस IBS नामक परेशानी में कमी लाता है।
धनिए में पाए जाने वाले विशेष तत्व लीवर को ताकत देते हैं तथा दस्त आदि से बचाते हैं। यह बैक्टीरिया के कारण होने वाले दस्त को मिटाने में भी मदद करता है ।
यह उल्टी, जी घबराना या पेट की अन्य परेशानी में भी आराम दिलाता है तथा भूख ना लगने की समस्या को मिटाता है।
धनिया खाने से रक्त में शक्कर की मात्रा कम होती है। यदि डायबिटीज का खतरा हो तो धनिए का अधिक उपयोग करना चाहिए। इससे रक्त में शर्करा की मात्रा नहीं बढ़ती है। धनिए से कार्बोहाइड्रेट का पाचन उचित तरीके से हो जाता है और रक्त में शक्कर की मात्रा कंट्रोल में रहती है। यदि डायबिटीज की दवा चल रही हो तो धनिए का अधिक उपयोग सावधानी के साथ और डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए। यह इन्सुलिन का स्राव बढ़ा सकता है।
धनिए में एंटीसेप्टिक तत्व होते हैं जो मुंह के छाले या चोट आदि को ठीक करने में सहायक होते हैं। यह मुंह में बदबू को ठीक करता है। हरा या साबुत धनिया चबाने से मुंह या गले में होने वाले दर्द में आराम आता है।
धनिया नसों को लचीला बनाये रखने में मदद करके ब्लड प्रेशर नियमित रखने में सहायक होता है।
धनिए में एंटी माइक्रोबाइल गुण होते हैं। किसी भी सब्जी में धनिया मिलाने से फ़ूड पाइजनिंग की आशंका कम हो जाती है। क्योकि धनिया फ़ूड पॉइज़न बनाने वाले कीटाणुओं से रक्षा करता है। धनिए में पाए जाने वाले तत्व विशेष रूप से साल्मोनेला नामक बैक्टीरिया को नष्ट करने में सक्षम होते हैं। यही बैक्टीरिया अधिकतर फ़ूड पाइजनिंग का कारण बनते हैं।
धनिया में LDL नामक हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने तथा लाभदायक कोलेस्ट्रॉल HDL को बढ़ाने का गुण होता है। इस प्रकार धनिया हृदय रोग से रक्षा करने में सहायक होता है।
धनिया यूरिन इन्फेक्शन को मिटाने में सहायक होता है। इसके लिए धनिया पानी में भिगोकर पीने से लाभ होता है।
धनिया माहवारी को कंट्रोल करने वाली अन्तः स्रावी ग्रंथि जिसे एंडोक्राइन ग्रंथि कहते है की मदद करता है जिससे माहवारी को कंट्रोल करने वाले हार्मोन का स्राव सुचारू रूप से जारी रहता है। इसके अलावा धनिया माहवारी के समय होने वाले दर्द में आराम दिलाता है।
त्वचा के लिए धनिया बहुत लाभदायक होता है। यह त्वचा के सूखेपन को कम करता है , तथा फंगल इन्फेशन और एग्जिमा आदि को ठीक करने में सहायक होता है। यह त्वचा में आने वाली सूजन को और जलन आदि को कम करके त्वचा को नरम मुलायम और चमकदार बनाता है। गुर्दे में परेशानी या खून की कमी के कारण त्वचा में होने वाली परेशानी को कम करता है।
इसमें आयरन प्रचुर मात्रा होता है जो खून की कमी दूर करता है। खून की कमी के कारण साँस लेने में दिक्कत , हृदय की धड़कन बढ़ना, अत्यधिक थकान तथा ज्ञान सम्बन्धी दिक्कत आने लगती है।
धनिए के नियमित उपयोग से मौसम के कारण होने वाली एलर्जी का प्रभाव कम होता है। एलर्जी पौधों से , कीड़े मकोड़ों से या खाने से भी हो सकती है। इसके अलावा अंदरूनी अंगों को भी एलर्जी के कारण नुकसान पहुँच सकता है। एलर्जी से बचाव किया जाना जरुरी होता है। धनिया में मौजूद एंटी एलर्जिक तत्व हर प्रकार की एलर्जी से बचाव करने में मदद करते हैं ।
धनिए में कैल्शियम होने के कारण यह हड्डी की मजबूती में योगदान देता है। कैल्शियम के अलावा भी इसमें बहुत से ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो हड्डी को कमजोर नहीं होने देते अतः धनिए का नियमित उपयोग जरूर करना चाहिए।
धनिए में एंटीऑक्सीडेंट , विटामिन A , विटामिन C , तथा खनिज जैसे फास्फोरस आदि होने के कारण यह आँखों को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है। उम्र बढ़ने पर मैक्युला को होने वाले नुकसान से बचाता है। यह आँखों के तनाव और दबाव को कम करता है। धनिया पत्ती में बीटा केरोटीन भी होता है जो आँखों को कई बीमारियों से तो बचाता है।
लेखक S B Mutha मूलत: जोधपुर राजस्थान के हैं और
Electrical, Energy and Automation Consultant and service provider हैंं।