रामू बाड़े के इस पार से कमला को निहारता है। वे दोनों इसी कुदरत की सन्तानें हैं : जहाँ एक ने दूसरे को देखने के लिए टिकट खरीदा है।
जी हाँ , आप सही समझ रहे हैं। रामू मनुष्य है , कमला चिड़ियाघर की एक मादा चिम्पैंज़ी है। दोनों एक-दूसरे को लोहे की सलाखों के आर-पार से देख कर समताएँ-विषमताएँ समझने की कोशिश कर रहे हैं।
किसी आम इंसान से आप उसमें और चिम्पैंज़ी में अन्तर पूछिए : वह समता की बात करता हुआ भी कपिराज से दूरी बना लेगा। “अमा ! बन्दर बन्दर है ! हम-लोग इंसान हैं !बहुत फ़ासला है भाई हममें-उनमें !”
इस फ़ासले का क्या अर्थ है ? कितनी है यह दूरी ? क्या हम इस दूरी को अन्य दो जानवरों के सापेक्ष समझने की कोशिश करें ?
जब विज्ञान दूरी की बात करता है तो कई बार उसका आशय आनुवंशिक दूरी से होता है। वह जेनेटिक्स के आधार पर दो स्पीशीज़ के बीच के अन्तर को पढ़ता है। ( आप यूरोपियन हों या एशियाई , हिन्दू हों या मुसलमान , ब्राह्मण हों या दलित — विज्ञान के लिए ये सारी परिभाषाएँ आपकी सामाजिकी की देन हैं और बहुत सतही हैं। ) तो विज्ञान के आधार पर मानव और चिम्पैंज़ी परस्पर कितने दूर खड़े हैं एक-दूसरे से ?
इस प्रश्न का उत्तर दूसरे प्रश्न से ढूँढ़ने की कोशिश करते हैं। क्या एक भारतीय हाथी अफ़्रीकी हथिनी के साथ सम्भोग करके सन्तान पैदा कर सकता है? हो सकता है आप कह दें , हाँ हाथी तो हाथी ही है। लेकिन इसका उत्तर ‘न’ है। अफ़्रीकी हाथी और भारतीय हाथी के जीन-पूल में जितना विभेद है , वह मनुष्य और चिम्पैंज़ी के बीच के अन्तर से बहुत ज़्यादा है। हाथियों के दोनों प्रकार आनुवंशिक रूप से अधिक दूरस्थ हैं।
लेकिन अभी ठहरिए। अफ़्रीकी हाथी में भी विभेद पता चल चुका है। वह विशाल गजराज भी दरअसल दो अलग-अलग स्पीशीज़ हैं। वे अफ़्रीकी हाथी जो घास के सवाना-मैदानों में रहते हैं , एक समूह हैं और जो घने जंगलों में निवास करते हैं , दूसरा। घास के मैदानों में रहने वाले अफ़्रीकी हाथी आकार में ख़ासे बड़े होते हैं और जंगल-निवासी हाथी उनसे छोटे।
विज्ञान यहीं नहीं रुका, उसने दोनों अफ़्रीकी हाथियों का आनुवंशिक अध्ययन किया और पाया कि दोनों में माइटोकॉण्ड्रियल जीनों में समानता है। बता दूँ कि आप और हम जो भी माइटोकॉण्ड्रिया पाते हैं , वे अपनी माँओं से पाते हैं। इस शोध ने इस बात को रेखांकित किया कि सम्भवतः दोनों स्पीशीज़ के हाथियों की माँएँ किसी समय एक ही कुल से थीं, जो बाद में बँटता चला गया।
क्या दोनों अफ़्रीकी गज-स्पीशीज़ परस्पर सम्भोग करती रही हैं? सम्भवतः। क्या ऐसा किन्हीं अन्य जीवों में होता रहा है ? हाँ , कई कीड़ों में और छोटे जीवों में। पौधे तो अपनी विस्तृत संकरता के लिए विख्यात हैं : उनमें दो अलग-अलग स्पीशीज़ मिलकर नयी स्पीशीज़ बनाया करती हैं। जानवर लेकिन कई बार उलटा करते हैं : उनमें एक ही स्पीशीज़ आगे जाकर दो में बँट जाती है, यानी उसकी दो शाखाएँ हो जाती हैं। पौधे मिलकर नया बनाते हैं , जानवर बँटकर। (हालांकि यह भी कोई पक्का नियम नहीं है!)
तो हाथियों की बतायी गयी तीनों जातियाँ जितनी पास-पास हैं , उससे अधिक समीप रामू और कमला हैं। वैज्ञानिक इस पर शोधरत हैं कि क्या दो पुरानी स्पीशीज़ सम्भोग कर के नयी का निर्माण करती हैं या कर सकती हैं। और फिर यह घटना कितनी कारगर या सार्थक होगी ?
यहाँ मनुष्य अन्तरजातीय विवाह को ही बड़ी बात मानकर जूझ रहा है। ढेरों वैज्ञानिक भी तमाम रूढ़ियों में आपको जकड़े मिलेंगे। लेकिन विज्ञान की चेतना मुक्त है। उसके लिए आप जीव-मात्र हैं , जैसे हाथी व चिम्पैंज़ी हैं।
बाक़ी रामू ने कमला को देखने के टिकट लिया है। रामू अपने परिवार के साथ है , कमला के सम्बन्धी उसके साथ हैं। मिलियनों वर्ष पहले इन दोनों के बीच यह पिंजड़ा नहीं था।
स्कन्द शुक्ल
लेखक पेशे से Rheumatologist and Clinical Immunologist हैं।
वर्तमान में लखनऊ में रहते हैं और अब तक दो उपन्यास लिख चुके हैं