हर किसी गेरूए वस्त्र वाले पर भरोसा मत करना,
हो सकता है वह धोखा देने के लिए रूप बदलकर बैठा हो।
हर किसी रोते हुए तो सांत्वना देने मत पहुंचना,
हो सकता है उसने आस्तीन में खंजर छिपा रखा हो।
हर किसी मानवतावादी के साथ आंसू बहाने मत पहुंचना,
हो सकता है वह किसी नरसंहार की पूर्वपीठिका तैयार कर रहा हो।
हर किसी सयाने दिखने वाले की बात मत मानना,
हो सकता है वह भरमाने के लिए जाल बिछा रहा हो।
हर किसी सपने बेचने वाले से सपने मत लेना,
हो सकता है वह पंख नोचने की तैयारी कर रहा हो।
खुद को बाहरी विचलन से बचाए रखना,
ज्यों शुष्क नारियल अमृत जल को छिपाए रखता है।
वे रोएंगे, प्रलाप करेंगे, दुहाई देंगे और डराएंगे भी
राष्ट्र प्रथम के अवसर को द्रवित हो खो मत देना।
– सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी