स्किजोफ्रीनिया के एक मरीज ने दिल्ली की झुग्गी में करीब चालीस साल पहले एक ही रात में सूर्य भगवान के कहने पर चालीस लोगों की फावड़े से नींद में सोते समय हत्या कर दी।
अगली सुबह वह आराम से अपनी झुग्गी के बाहर बैठा था, जब उसे पूछा गया तो उसने सहजता से कहा कि सूर्य भगवान ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था, सो उसने सभी को मुक्ति दे दी है। वह इंसान अपनी जगह गलत नहीं था, सच्चा तो इतना था कि हत्या करके भी भागा नहीं, और जो निर्देश मिले, उन्हें पूरी शिद्दत से पूरा किया।
क्या उसे समाज में रहने की इजाजत मिल सकती है। एक विकृति के लिए क्या उसका त्याग किया जाना चाहिए। अगर उसे मानसिक रोगियों के अस्पताल में बेडि़यों में जकड़कर रखा जाता है, तो समलैंगिकों को खुला घूमने की छूट क्यों।
एक हत्यारा कभी मन से हत्यारा नहीं होता, वह वास्तव में अपनी जान की रक्षा कर रहा होता है, भीतर से इतना कोमल होता है कि कबूतर को भी मारने की सोच नहीं सकता, लेकिन हकीकत में वह चिड़िया के पंख फड़फड़ाने से पहले गोली चला देता है। साइकोलॉजी में ऐसे लोगों को इंपल्सिव कहा जाता है। अगर क्लिनिकल साइकोलॉजी की टर्म में बात की जाए तो ऐसे लोग हत्या के लिए मानसिक रूप से दोषी नहीं होते हैं। लेकिन क्या समाज में उन्हें रखा जा सकता है।
इस धरती पर हर प्रकार के क्राइम करने वाले, हर प्रकार के अप्राकृतिक कर्म करने वाले और हर तरह की मानसिकता वाले लोग रहते हैं, इंसान के इंसान बन जाने के बाद संभावनाओं के अनंत द्वार खुल गए हैं, लेकिन सभी द्वार समाज के अनुकूल ही हों, यह कैसे हो सकता है। समाज निर्माण कुछ तय नियमों के भीतर ही हो सकता है।
एलन ट्यूरिंग जीनियस था और समलैंगिक था, पिछले दिनों एक फिल्म आई थी क्लाउड एटलस उसमें संगीत बनाने वाला मुख्य किरदार भी जीनियस और समलैंगिक था, कई ऐसे लोगों के बारे में जहां तहां पता चलता रहता है, जहां बताया जाता है कि समलैंगिकता और जीनियस माइंड एक दूसरे से जुड़े अथवा पूरक हैं।
ऐसे प्रकरणों के बाद मुझे काफी सारे बुद्धिमान लोगों पर शक होने लगा है, आइंस्टाइन से लेकर कार्ल मार्क्स तक और हिटलर से लेकर जार्ज वाशिंगटन तक सभी मुझे समलैंगिकों की कतार में खड़े दिखाई देने लगे हैं।
पूरी दुनिया में लाखों की संख्या में समलैंगिक हैं, चार लोग इनमें से जीनियस निकल भी आएं, तो सावधानीपूर्वक उन्हें अतिरिक्त सुविधा के तौर पर समलैंगिक होने की लग्जरी करने दी जाए, बाकी की टांगें (पिछवाड़ा कहने पर मचल सकते हैं) तोड़कर रास्ते पर ले आना चाहिए, साले गंद मचाने के लिए मचल रहे हैं।