डर के आगे जीत है- मेरा कोरोना वर्ष अनुभव 38

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कोरोना अचानक आई विपदा
जब अचानक कुछ होता है तो में घबराती नहीं हूँ ईस कठिन समय में हम क्या कर सकते हैं वो करे। रोना रोने से कोई फ़ायदा नहीं होता बल्कि नुक़सान होता हैं।
कामवालियों को हटाया खुद काम    किया  चमचमाता    घर ओर पसन्द का खाना सामने था मज़ा आ गया
दूसरा बहूँ ज़ो दाँतों कीं डॉक्टर हैं उसका भी काम बंद तो धीरे धीरे पूरा काम संचालन करने लगी मेरे एड़ी में दर्द क़े कारण मदद कम हो गई
अब मेरे पतिदेव जो रोज़ाना बाहर स्कूटी से जाते ख़राब ट्रैफ़िक की वजह हमेशा चिंता रहती थी ख़त्म हो गईं
मेरी माँ मुझसे मिलने आई पर कर्फ़्यु की वजह से मेरे पास रही तो सेवा का मोक़ा मिला ओर मेने उनके भजन रेकोर्ड किए ओर उनके साथ गाती तो तो उन्होंने कहा तेरी आवाज़ अछी हैं तो मेरा खुद पर कॉन्फ़िडेन्स बढ़ा ओर गाने का रियाज़ शुरू आजकल सब मेरे गाने की तारीफ़ करते हैं|
लोग बहुत ड़र गए उनको समझाया ओर डरे नहीं बस ऐहतीयाहत रखें यें करोना ख़त्म नहीं होग़ा जल्दी से हमें ईसके साथ जीना हैं ओर काम भी करना हैं ओर ईससे बचना भी हैं ।
मेरे बेटा बहूँ दोनो डॉक्टर हैं काम भी करते हैं ।
एक पोती हैं सात साल की उसके डान्स वीडीओ लगायें ग्रुप में पोता छोटाहैं ख़ूब मज़े करते हैं
पर एक काम रोज़ क़रती हूँ फ़ोन पे जो ड़र रहे हैं उनक़े ड़र को भगा कर उन्हें ऊर्ज़ावाँन बनाना ।
आप सब भी डरे नहीं आजकल तोहम लोग़ो में सभी में बड़ा बदलाव आया हैं सब लोग बिना मास्क बाहर नहीं जाते हाथ धोने पर भी ज़ोर हैं फ़ालतू में बाहर भी नहीं जाते फिर कोरोंना का क्या ड़र है ??? नहीं हैं ना ।

लेखिका- नन्दा कल्ला