टूटे सपने सँग जिंदगी – मेरा कोरोना वर्ष अनुभव 33

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इस कोरोना वर्ष मे मेरे अनुभव के अनुसार भगवान की कृपा से हम फिर भी ठीक है| दुख उन लोगों के लिए है जिनके पास न नौकरी है और न खाने के लिए पर्याप्त अन्.बहुत से लोगों को उनके परिवार से हमेशा के लिए छीन लिया है इस कोरोना महामारी ने. इस कोरोना ने बहुत दुख दिया है लेकिन एक बात ये सिखादि है कि इन्सान को मिलजुलकर रहना चाहिए ,कम मे भी खुश रहना चाहिए ,जरुरतमंदों की जितनी हो सके मदद करनी चाहिए और परिवार मे छोटो और बुजुर्गों के साथ भी पुरा वक्त बिताना चाहिए.परेशानियां तो हम सबको बहुत हो रही है लेकिन दूसरी तरफ देखा जाए तो हमें अपने परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिल रहा है, वरना आजकल की भागमभाग मे हम सबको फुर्सत ही कहाँ थी. मुझे सबसे ज्यादा परेशानी इसलिए हो रही है कयुकि मेरी 3 साल की बेटी की जनवरी मे बड़ी सर्जरी हुइ थी तो उसे कुछ भी परेशानी होती है तो मै उसे कोरोना के डर से अस्पताल नही ले जा पाती हूँ. फिर भी भगवान का हाथ है उसके सर पर फिलहाल कि कोई बड़ी परेशानी नही हुइ. अब तो भगवान से यही प्रार्थना है कि जल्द से जल्द ये कोरोना खत्म हो और हम सब पहले की तरह अपना जीवनयापन करे और हसी खुशी परिवार के साथ रहे
कोरोना ने तो सबकी जिंदगी तहसनहस करके रख दी है।
और सबको चारदीवारी मे बंद करके रख दिया है. कुछ नहि पता कब मुझे मेरे परिवार से मिलने देगा ये कोरोना. मैंने सोचा था जब मेरी बेटी की सर्जरी हो जाएगी तो हम घर जाएंगे और मेरी बेटी खुश होगी बहुत समय के बाद कयोंकि वहाँ छोटे बडे़ सब होऺगे .लेकिन कोरोना ने हमारे सपने तोड़ दिए.
हे परमात्मा परमेश्वर हम सबको इस मुशकिल की घड़ी से बाहर निकालिए
लेखिका- ममता पांडेय