सनातन संस्कृति की ओर कदम- मेरा कोरोना वर्ष अनुभव 30

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राम-राम सखियों।। कोरोना काल में मेरा अनुभव बड़ा ही सुखद रहा ,मुझे वह मौके मिले जो छूट गए थे ,अपने बच्चों के साथ समय बिताया, नई डिशेस सीखी और योग अपनाया ,समाज में जो कुछ मैं कर सकती थी संभवत किया, सनातन संस्कृति की तरफ लौटे यह सबसे अच्छा हुआ ।
रामायण का अगर नाम ना लो तो यह अनुभव अधूरा होगा।कई भ्र्रम दूर हुए,। घर से काम का अनुभव बहुत ही सुखद रहा क्योकि बच्चों को परिवार को और ऑफिस को हम अच्छे से संभाल पाए। हालांकि देश के लोगों को बहुत ही दुखद परिस्थितियों से गुजरना पड़ा जिससे मन द्रवित हुआ किंतु शुभ भावनाओं को प्रेषित करने के अलावा और कुछ ना कर पाए हम ।
समाज में आसपास जो संभव था वह हमने किया और सखी ग्रुप से एक्टिव रूप से जुड़े, और ऐसा ज्ञानवर्धक जान पाया कि बहुत मजा आया,। परिवार की महत्ता पर बल पड़ा बहुत कुछ सकारात्मक हुआ ऐसा मुझे लगा।

लेखिका- दीपमाला आनंद