#कोरोना #अनुभव
अभी अभी तो पूना ,कोल्हापुर घूम कर ही आई थी वापस,हरिद्वार जाने का रिजर्वेशन पहले से ही करा रखा था ,कि lockdown हो गया ।
घर मे कैद –सारे काम अपने आप करने –पहले तो थी बेचैनी –कि काम किया जाए –कैसे —बच्चों से फोन मे बात होती ,कि वे आफिस का काम करे कि घर का काम करे–।आशा –और धैर्य का दामन पकड़े धीरे धीरे सभी काम करने की आदत सी हो गई —
–कही किसी अपने को कुछ न हो जाये –रोज अपनों को हिदायतें देती रहती –धीरे धीरे –ऐसे वातावरण के अनुकूल होती चली गई –घर मे कैद होते हुए भी समय का सदुयोग भी खूब हुआ ,परिवार में नजदीकियां तो बढ़ी –संगीत को भी एन्जॉय करने लगी –रियाज का दौर शुरु हो गया —
सितार –बजाने में –सिद्धहस्त होने लगी –मेरा सौभाग्य –यहां लाइव बजा कर –आप लोगो का प्यार पाने लगी —
सभी स्वस्थ रहे –खुश रहे इसी प्रार्थना के साथ –अभी जंग में शामिल ही हूँ, जो भी हुआ अच्छा ही हुआ प्रकृति भी अनुकूल ,वातावरण भी शांत तो अब जंग में जीत सुनिश्चित ही है –।
लेखिका- मंजू दीक्षित