यादवेन्‍द्र शर्मा चंद्र नहीं रहे

    एक  सूचना 

    प्रसिद्ध साहित्‍यकार यादवेन्‍द्र शर्मा चंद्र नहीं रहे। हजार घोड़ों का सवार सहित सवा सौ पुस्‍तकें लिखने वाले यादवेन्‍द्र शर्मा चंद्र ने मीरा पुरस्‍कार सहित तमाम प्रकार के पुरस्‍कार लिए और अंत तक सादा जीवन जीया। अपनी पत्‍नी जिसे वे भट्टाचार्य के नाम से पुकारते थे, के साथ अंतिम दिनों तक बीकानेर स्थित अपने ही छोटे से घर में रह रहे थे। पिछले दिनों तबियत बिगड़ने पर उन्‍हें एम्‍स ले जाया गया। वहां एक महीने के इलाज के बाद बीकानेर के पीबीएम अस्‍पताल लाया गया। जहां दो-तीन दिन आईसीयू में भर्ती रहने के बाद उन्‍होंने इस ग्रह को अलविदा कह दिया। हिन्‍दी के अलावा मायड़ भाषा में उनके किए कार्यों को लोग लम्‍बे समय तक याद रखेंगे। जनकवि हरीश भादाणी, चिंतक नन्‍दकिशोर आचार्य सहित साहित्‍य से जुड़े तमाम लोगों को साहित्‍य के बड़े भाई के निधन पर शोक हुआ है। मेरा उनसे परिचय इतना था कि बचपन में एक बार उनके घर गया तो उन्‍होंने खुद की लिखी कहानियों की एक छोटी सी किताब मुझे भेंट की थी। इसके बाद कभी उनसे मुलाकात नहीं हो पाई थी।

    देश में बीकानेर को पहचान और सम्‍मान दिलाने वाले चंद्र की आत्‍मा को ईश्‍वर शांति दे।

    उनकी एक पुस्‍तक मरु केसरी की झलकी देख सकते हैं।