#कोरोना अनुभव:-
कोरोना महामारी पूरी दुनिया के लिए एक सबक लेकर आई,इस बीमारी ने लोगो को उस दौर के लिए तैयार कर दिया जो दौर सभी वर्ग,समाज चाहते हुए भी नही ला सकते या लागू नही कर पाते,सो इससे ये सिद्ध हो गया कि जो होता है वो अच्छे के लिए होता है या फिर यू कह ले कि जो हुआ अच्छा हुआ सभी समाज बहुत सी कुरीतियों से स्वतः ही मुक्त हो गये।
लेकिन लेकिन ये कोरोना समय बहुत से लोगो के लिए कठिनाई भरा रहा, लोगो को अपने पराये का भान हुआ,जिंदगी म हर समय तैयार रहने का सबक मिला,बहुत से लोगो ने अपनी उम्मीद,खुशियो व सपनो के साथ अपनो को भी खो दिया😞जोकि बिल्कुल असहनीय है।
कोरोना समय मेरे लिए बहुत ही खराब व बुरा रहा,मेरी जिंदादिल जिंदगी को एक बहुत ही बड़े पश्चताप में बदल दिया।
हुआ यूं की मेरी माँ मेरे पास ही थी,उनका मन भी लगा हुआ था पता नही एक दिन जिद करने लगी घर जाना है बहुत रोका न रुकी ओर 5,6 दिन से वापिस आ जाऊंगी कह कर अपने घर चली गई और उसके जाने के ठीक 4 दिन बाद लॉक डाउन हो गया,सब कुछ ठीक चल रहा था अकेली मा को पास ही रहने वाली मेरी बहन अपने घर ले गई कुछ दिन हुए और माँ को मेरे यह आने की इच्छा हुई,लेकिन लॉक डाउन म ये संभव नही था। मा को समझाया कुछ दिन की बात है वो समझ गई,मैने भी इधर से कोशिश करनी सुरु की उनको कैसे मेरे यह लाया जाए तभी लोकडाउन बढ़ा दिया गया व मेरी कोशिश नाकाम हो गई प्रशासन ने ये कह कर मन कर दिया कि वह व्रद्ध है और सेफ जगह पर है सो आपको परमिशन नही है,उनको लाने की, भारी मन से माँ को बताया लेकिन कहते है कि बुजुर्ग व बच्चे एक से होते है माँ ने आने की जिद्द ही पकड़ ली रोज सवेरे एक ही बात मेरे यहा आना है फ़ोन वीडियो कॉल से उनको बहला कर रख रहे थे,लेकिन वो कभी कभी रोनो लग जाते थे ये देखकर मन खून के आंसु रोता पर क्या करे मजबूर जो थे एक दिन मैंने उनको कहा कि 14 को लोकडौन खत्म हो रहा है 15 को सवेरे ही में आपको ले जाऊंगी,ये सुन उनकी खुशी का ठिकाना नही रह एकदम से बच्चो की तरह चहक कर बोली सच्ची मैने कहा हा तो संतुस्ट तो गई फिर एक दिन पता चला की लोकडौन बढ़ गया,लेकिन मैंने ठान ली की किसी तरह से उनको लाना है में उनको मेरे लिए अधीर नही देख सकती थी सो कोशिश सुरु की लेकिन उधर जैसे ही 14 समाप्त हुआ व 15 को माँ को पता चला कि लोकडौन बढ़ गया उन्होंने सवेरे से ही मेरे नाम की रट सुरु कर दी और अपना शरीर छोड़ दिया, मेरे लिए ये समाचार बहुत ही असहनीय व ह्रदयविदारक था मुझे ये गम हमेशा रहेगा कि अगर मैं अपनी माँ के अंतिम समय म उनके पास नही थी वीडियो कॉल पर भी वो मुझे देखकर आखिरी सांस ली और में कुछ न कर पाई मुझे भगवान कभी माफ नही करेगा ।कोरोना के लोकडौन ने मुझसे मेरी प्यारी माँ को छीन लिया और मुझे जिंदगी भर के लिए एक पश्चताप दे दिया.
लेखिका – निर्मला माहेश्वरी