माँ का दर्द – मेरा कोरोना वर्ष अनुभव 29

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होली के आस पास करोना नामक बीमारी की चर्चायें जोरों पर शुरु हो गयी थी रोज अखबार टीवी पर बीमारी की भयानकता सून कर मन व्यथित हो जाता था फिर बाइयों और मजदूरों की बेरोजगारी और भू ख का सून मन व्यथित हुवा और जो बन, सकता मदद करने का किया, हम सेवा भारती महिला मंडल ने आपस में कलेक्शन कर सहायता किट वितरण की कभी खाने के पैकेट बांट घर में देवरानी के सहयोग कभी टेलर के सहयोग मास्क बनाकर वितरित किये।
दिनोदिन बढता लोकडाउन और करोना की भयावहता में भी अपना मानसिक संतुलन बनाये रखा मंदिर कीर्तन किट्टी पार्टी सब बंद स्वयं को घर में ही कैद रखा ऐसे में टीवी फेसबुक और वाट्स अप ही एक दूसरे से मिलने के साधन थे जिनमें कभी करोना की खबरें दहशत देती तो कभी करोना के चुटकुले हंसा रहे थे ।
रेड जोन ग्रीन जोन जयपुर और जोधपुर में कहर ज्यादा था मगर अलवर और बीकानेर सुरक्षित थे मन में संतोष था बेटे का परिवार अलवर और बेटी का बीकानेर ये सुरक्षित हैं, मगर सुख थोड़े समय रहा अलवर में संक्रमण फैला तो बेटा बहन के पास सपरिवार चला गया और बीकानेर तो करोना का गढ हो रहा है, मेरी बहु को हल्का जुकाम हुवा उसको संदेह हुवा और जांच कराने की जिद की तब पति पत्नी दोनों ने जांच कराई और बहु नेगेटिव और बेटा पोजेटिव आ गया। पोजेटिव शब्द सुकून देने वाला वो इस इस समय करंट मारता है।सोच पोजेटिव रखो मगर बीमारी नेगेटिव।
कहां तो बेटा समय बिताने बहन के पास गया हंसी खुशी एक सप्ताह नहीं बीता की करोना कहर आ गया ,बाकी घरवालों की जांच हुई तो पोती और नाती की बहु भी संक्रमित पाये गये।
बीमारी का खौफ पहले भी था मगर अब आपनों पर आई तब पता चल रहा है कि भयावहता क्या है दिन का चैन रातों की नींद उडी़ हुई है ,बच्चे अपनी दुनियां में मस्त हों तो मां खुश मगर जब बेटा और बेटी दोनों पर विपदा आन पडी़ है तो मुझ मां के दुख का अंदाजा नहीं लगा सकते रो रो कर हाल बेहाल है। नाती की बहु का दो साल का बच्चा मां से दूर तो मां बेटे दोनों दुखी हैं।जब अपने पर आई तब महसूस हो रहा है कि करोना कहर क्या है। इम्युनिटी बढाने की दवायें लेकर खुद का बचाव किया मगर परिवार चपेट में आ गया इससे तो मैं ही आजाती अब आपही बतायें करोना का इससे बुरा अनुभव क्या होगा अब आप सब दुवा करें कि मेरा परिवार इससे मुक्त हो शीघ्र स्वास्थ्य लाभ ले।दवाओं में बहुत असर होता है मुझ अभागी की नहीं तो आप सबकी दवाओं को असर हो। और मेरी खुशियां लौट आये वेतीनो नेगेटिव हो जाय

लेखिका – गीता पुरोहित