मन की समझाइश- कोरोना वर्ष में मेरा अनुभव 15

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#कोरोना #अनुभव

मेरी नजर में

यूं तों इस साल की थीं अच्छी शुरुआत
पर किसने जाना था होगी ऐसी बात
इस बीमारी ने हमें बहुत कुछ सिखलाया
कुछ तों मनुष्य ने अपनें कर्मों का है फल पाया
शुरुआत में कहाॅं हमनें समझा
इतनी विकराल बीमारी है
पर समय के साथ है समझा
ये तों समस्या महामारी है
इस बीमारी ने दुनिया में
तबाही खूब मचाई है
इससें बचनें के लिए हमें
लड़नी खूब लड़ाई है
जिस तरह से इसने पॉंव
है अपनी जमाई
हम आत्मनिर्भर बनकर
करेंगे इसकी विदाई
हम सबनें तों रहन-सहन बदल डालें हैं
अपनें सारें काम खुद ही संभालें हैं
पहलें जो काम नहीं कर पातें थे,
वो काम है हमनें किया
खुश होकर शांतचित्त से
सब कंट्रोल है किया
घर के लोगों ने भी साथ हमारा दिया
अभी तक तों हमनें शांतचित्त से जिया
देश-दुनिया की खबरों ने
मन में तांडव बहुत मचाया
पर मैंने भी मन को दृढ़ कर
खुद को बहुत समझाया

हर चीज के दो पहलू होते हैं
कुछ नकारात्मक तों कुछ सकारात्मक भी होतें हैं
माना इस बीमारी ने
सबकें मन में डर बहुत समाया
पर दूसरी ओर प्रकृति ने
अपना पुराना रूप है पाया
खिल उठी प्रकृति व धरा
जैसें किसी ने जादू भरा
दौड़ती भागती जिंदगी से
हमें मिला ऐसा ठौर
ले गया समय हमें
वही पुराना दौर
इस डिजिटल जिंदगी ने
हमें बहुत सभांला है
सच पूछों तों इसका
रूप बड़ा निराला है
हम बिन मिलें सबसें मिल रहें हैं
सुख-दुख अपना बाॅंट रहें हैं
ऑनलाइन ही सारें काम हो रहे हैं
ना जानें कितनी मुश्किलें सॉल्व हो रहें हैं
हमनें सकारात्मकता के साथ जीनें की ठानी है
कुछ कर पाएं किसी के लिए ऐसी सोच लानी है
जो हमसें हो पायेगा वो काम हम करेंगे
इस कोरोना से देश को एक दिन मुक्त हम करेंगे

लेखिका – Anjana Singh