पुरुष की सुंदरता और सफलता की सीढि़यां

    औरतें सुंदर होती हैं। सही कहूं तो तरीके से देखा जाए तो बहुत ही भद्दे तरीके के रहन सहन वाली औरतों को छोड़ दिया जाए तो दुनिया की तकरीबन हर औरत सुंदर है। कम से कम किसी पुरुष को अगर यह लगता है तो लाजिमी भी है।

    इसी तरह किसी औरत को भी यह लग सकता है कि पुरुष सुंदर होते हैं। इसमें कहीं कोई दोष मुझे तो दिखाई नहीं देता। अब अगर बात आए कि स्‍त्री और पुरुष में से सुंदर कौन तो एक लाख में से नौ लाख निन्‍यानवे हजार, नौ से निन्‍यानवे लोग कहेंगे स्त्रियां सुंदर होती हैं। वे केवल सुंदर ही नहीं होती, बल्कि सुंदर दिखने के लिए हजार तरह के जतन करती हैं। ऐसे में कौन मूर्ख होगा जो पुरुष को स्‍त्री की तुलना में सुंदर कहेगा।

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    “हकीकत यह है कि जहां स्त्रियों को बलपूर्वक यानी प्रयास करके सुंदर दिखना पड़ता है, वहीं पुरुष नैसर्गिक रूप से सुंदर होता है। इसी कारण उसे मेकअप या ड्रेसिंग की खास जरूरत नहीं पड़ती। प्रकृति ने उसे ऐसा ही बनाया है।”

    यह बात मैं नहीं कह रहा, एक लेख में पढ़ी। ऐसा कैसे हो सकता है, आज तक तो यही मानते आए हैं कि स्त्रियां ही सुंदर होती हैं, फिर यह पुरुष बीच में कहां आ टपका? यहां तक कि एक बार कपिल देव की अंग्रेजी पर सवालिया निशान लग गया था, जब उन्‍होंने नए आ रहे क्रिकेट खिलाड़ी के लिए कहा था कि वह बहुत ब्‍यूटीफुल है। हालत यह हो गई थी कि रेपिडेक्‍स इंग्लिश स्‍पीकिंग वालों ने कपिल देव को अपना ब्रांड एम्‍बेसडर बना लिया।

    खैर, बात हो रही थी पुरुष की सुंदरता की। तो जनाब, पूरे पेज का आर्टीकल था कि पुरुष नैसर्गिक रूप से सुंदर होता है। न केवल इसके पक्ष में प्रमाण दिए गए थे, बल्कि उदाहरण के साथ समझाया भी गया था। ठीक वही आर्टीकल अब निकालना मुश्किल है, लगभग असंभव है, लेकिन उसका लब्‍बोलुआब समझाया जा सकता है। इससे पहले कुछ फोटो पर गौर फरमाएं…

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    आश्‍चर्य मत कीजिए ये सभी पुरुष जानवर हैं। स्‍त्री को लुभाने के लिए प्रकृति ने पुरुष को नैसर्गिक रूप से सुंदर बनाया। ताकि बेहतर साथी का चुनाव करने के दौरान मादा को रिझाने में यह सुंदरता काम आए। एक मादा जर्नलिस्‍ट ने यह खोज की थी और अखबार के मालिक के साथ मिलकर यह लेख लिखा। इसका परिणाम यह हुआ कि समाचारपत्र के मालिक ने लेख में वेदों का संदर्भ भी शामिल कर दिया। लेख के बाकी हिस्‍से का काम पुरुष जानवरों से पुरुष इंसानों तक आने का था। इसे शब्‍दशक्ति के साथ पूरा किया गया। लेख के अंत तक हमें पता चलता है कि जिस प्रकार प्रकृति ने जानवरों के साथ न्‍याय किया, उसी प्रकार इंसान के साथ भी न्‍याय किया है।

    स्‍वर्ग की अप्‍सराएं भले ही कई मामलों में फेल हो जाएं, लेकिन कृष्‍ण कभी फेल नहीं होते। उनका जिक्र ही गोपिकाओं को विह्ल कर देने के लिए पर्याप्‍त है। देव युगलों में भी देवियां देवों की ओर आसक्‍त भाव रखे हुए दिखाई देती हैं और देव आत्‍ममुग्‍ध।

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    कहने की जरूरत नहीं है मक्‍खन लगाए जाने से चिकने हो चुके पत्रकारों से भरे संगठन में यह हाहाकारी लेख था। मालिक के साथ सीधा संवाद और यह लेख। सुंदर महसूस कर रहे मालिक ने लेखिका को सीधे ऊंचे पद दिलाए और आज भी वह लेखिका अच्‍छी स्थिति में है। हालां‍कि मालिक बदल गए हैं, लेकिन पुरुषों के प्रति लेखिका की धारणा ने उसे आज भी मांग में बना रखा है। आप किसी स्‍त्री को सुंदर कह दें तो बात बन भी सकती है और बिगड़ भी सकती है, लेकिन अगर कोई स्‍त्री किसी पुरुष को सुंदर कहे और उदाहरणों से सिद्ध भी कर दे कि पुरुष सुंदर होता है तो उसकी सफलता के द्वार खुल सकते हैं।

    इसके घटनाक्रम के बाद से मक्‍खन लगाने की परम्‍परा को भी धक्‍का लगा, अब तेल के टैंकर मंगवाए जाते हैं…