दशहरे की शुभकामनाएं
अंग्रेजी साल शुरू होता है, तब सर्दियां होती हैं और एक अनचाहा डिप्रेशन वातावरण में पसरा होता है, भारत के उत्तर में हिमालय होने के कारण हम उत्तरी हवाओं की उस मार का सामना करने से बच जाते हैं, जो बाकी की दुनिया को झेलनी पड़ती है। ऐसे में दुनियाभर में वह डिप्रेशन भारत की तुलना में कहीं अधिक होता है। इसके बावजूद त्योहार लोलुप आम भारतीय भी दुनिया की देखादेखी नया साल मनाता है।
सर्दियों के उन अवसाद के क्षणों में जब यह तथ्य स्पष्ट होता है कि साल बीत गया है और नया साल शुरू होने वाला है, तो अपनी उम्मीदों को जिंदा रखने के लिए लोग कसमें खाते हैं, जिसे न्यू ईयर रिजोल्यूशन नाम दिया जाता है। अब हम ऐसा करेंगे, अब हम वैसा करेंगे। कुछ दिन में वासंती बयार आती है और जिस प्रकार डूबती नाव में किए गए वादे और रेल यात्रा में मिलने के वादे समय बीतते ही तिरोहित हो जाते हैं, वैसे ही सर्दियों के वादे वसंत की भेंट चढ़ जाते हैं।
भारत भूमि को न कभी ऐसे वादों की जरूरत थी और अब है, लेकिन ट्रॉपिकल साइकिल यानी मौसमी चक्र भारत में भी है। यहां हम समृद्धि को शीर्ष पर पहुंचकर पाते हैं कि गुणों का विकास और अवगुणों का शमन ही विकास का मार्ग है। ऐसे में साल के कुछ दिन हमारे लिए नई शुरूआत के होते हैं, यह हम तभी करते हैं, जब हम प्रसन्न होते हैं। फसलें खलिहानों में आ रही हैं, समृद्धि चारों ओर बिखरी पड़ी है। जिसके पास खोने को कुछ भी नहीं, वह भी खुद को भरा पूरा महसूस कर रहा है। वास्तव में डिप्रेशन की तुलना में नई सार्थक शुरूआत का यही समय है। इसी कारण दीपावली पर नई बहियां डाली जाएंगी, नए प्रतिष्ठान शुरू होंगे, नए धंधे शुरू होंगे, घरों में रोशनियां होंगी।
परन्तु नई शुरूआत से पहले, नए गुणों की नींव डालने से पहले अवगुणों का शमन करना जरूरी है। दीपावली से पहले दशानन का नाश जरूरी है। रावण का दहन किसी पुतले का दहन नहीं, बल्कि सैल्फ करेक्शन है। आज का दिन इसी के लिए है। अगर खुद में कुछ कमियां महसूस हो, खुद के किन्हीं अवगुणों से परेशान हो, खुद की किन्हीं पुरानी गलतियों का प्रायश्चित करना हो तो आज का दिन सर्वश्रेष्ठ है। रावण के पुतले के दहन के साथ यह करेक्शन हो जाएगा।
जरूरी नहीं कि बहुत बड़े समारोह का हिस्सा हुआ जाए, जहां कहीं कुछ युवा मिलकर छोटे से रावण को भी जला रहे हों, वहां जाकर खड़े हो जाइएगा। अगर आपके भीतर सनातन प्रवाह है तो शीघ्र कनेक्ट हो जाएंगे, शमन भी आसानी से होगा। नई शुरूआत और नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे।
चाहें कितना भी ज्ञान न हो, अगर अवगुण हैं तो उनका शमन जरूरी है।
दशहरे की अनंत शुभकामनाएं…