पिछले कई दिन से लिखने के बजाय पढ़ने का क्रम बना हुआ है। नेट पर बैठता हूं। पहले अपने पसंदीदा ब्लॉग्स को खोलकर पढ़ता हूं। फिर वहां मिली कडि़यों से आगे बढ़ता जाता हूं। दो चार या छह घण्टे तक यही क्रम चलता है। इस दौरान लगा कि कई चिठ्ठे बहुत अच्छे हैं। मुख्यतया कंटेट के मामले में। सोचा अन्य पाठकों को भी बताया जाए। अब इसका लहजा स्वत: ही चिठ्ठा चर्चा जैसा बन रहा है। देखिएगा।
केरल पुराण बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणजी एक के बाद दूसरी केरल की शानदार कहानियां सुना रहे हैं। बीच-बीच में एक दो दिन का गैप आता है तो लगता है अंतराल में सदियां बीत गई। हर कहानी बहुत शानदार। और अनुवाद लगातार निखरता जा रहा है। कई कथाएं तो छह या सात खण्डों में भी हैं। रसास्वादन कीजिएगा।
लिख डाला में शाहिद मिर्जाजी यह बिल्कुल लॉटरी लगने जैसा अनुभव है। शाहिद मिर्जा जी को जो लोग जानते हैं। यानि लाखों लोगों को पता है कि उनका लेखन कैसा रहा है। उनकी पत्नी वर्षा भम्भाणी मिर्जा जी ने अपने ब्लॉग लिख डाला में उनका एक लेख पिछले दिनों प्रकाशित किया। सालों पहले लिखा गया लेख आज भी उतना ही सटीक है। इसे कालजयी कृति कह सकते हैं। देखिएगा…
Life is beautiful इस ब्लॉग के बारे में शायद रविरतलामीजी ने बताया था। रंगीन चित्रों में कला से अधिक जीवन ढूंढने की कोशिश करता यह ब्लॉग वाकई शानदार है। हर पोस्ट में पिछली पोस्ट से अधिक सशक्त अभिव्यक्ति दिखाई देती है। हैं बस चित्र ही…
ज्योतिष की सार्थकता पंडित डीके शर्माजी अब तक सॉफ्ट अंदाज में अपनी बातें कहते रहे हैं। उनके ताजे लेख में तो उन्होंने विज्ञान की सबसे एडवांस शाखा अंतरिक्ष विज्ञान के समक्ष ही चुनौती पेश कर दी है। मेरा मतान्तर यह है कि ज्योतिष को ज्योतिष ही रहने दिया जाए उसे विज्ञान सिद्ध करने के चक्कर में अधिक कचरा होता है। क्यों न अब विज्ञान को ही ज्येातिष के पैमाने पर परखने का प्रयास किया जाए।
निशांत का हिंदीज़ेन ब्लॉग निशांत मिश्राजी ने जेन कथाओं के साथ इस ब्लॉग की शुरुआत की। शुरू में छोटी छोटी कहानियां आ रही थी। बाद में कुछ बड़ी और बहुत बड़ी पोस्टें भी आई। लेकिन अब भी छोटी प्रेरक कथाओं का क्रम चालू है। हर रोज इस ब्लॉग पर एक तो ऐसी कथा होती ही है। कभी सुनी हुई तो कभी बिल्कुल नई। पिकासो और आइंस्टाइन के वृत्तांत को कमाल के हैं। इसे फीड रीडर से नियमित पढ़ा जा सकता है। मैं इस ब्लॉग का फैन हूं।
संजय व्यासजी ये जोधपुर के हैं। पिछले दिनों पहली बार इनके ब्लॉग पर गया और एक अभिशप्त कस्बे की कहानी पढ़कर इनका मुरीद हो गया। अब गूगल फ्रेंड कनेक्ट के माध्यम से इनसे जुड़ गया हूं और आगे नियमित पढ़ने की कोशिश करूंगा। आप भी इन्हें पढ़ सकते हैं। इनके लेखन में ताजे पानी का अहसास होता है।
डॉ अनुराग आर्य इनके ब्लॉग पर पहले भी जाता रहा हूं लेकिन पिछली पोस्ट में अनुराग जी ने क्लीन बोल्ड कर दिया। तर्जुमा था ‘जीनियस डोंट फॉल इन लव’ और इसका सुधार था ‘जीनियस डोंट फॉल इन लव- इट हैपंस’ आगे कुछ कहने की जरूरत नहीं। आप जब भी वहां पहुंचेंगे तो अपने छात्र जीवन और उन दोस्तों को जरूर याद करेंगे जो बेगरज आपके यार रहे हैं।