कृपया विलम्ब ना करें!
कोरोना संकट में घर में रहते हुए भी आप सक्रिय भूमिका में आ सकते हैं। समय, ऊर्जा का सार्थक उपयोग कर सकते हैं।
- सबसे पहले खुद को लैस कीजिए, बेहतरीन किस्म के डबल मास्क, वायजर और सेनिटाइजर के साथ। क्योंकि इमरजंसी में कभी भी घर के सुरक्षा चक्र से बाहर निकलना पड़ सकता है। किसी आत्मीय के लिए ही सही।
- अपने शहर या करीबी शहर के सभी कोविड इमरजंसी नंबर की सूची तैयार कर लें।
- लोकल अंबुलेंस, सरकारी अंबुलेंस सेवा, निजी टैक्सी के नंबर तैयार रखें।
- अपने आसपास ऑक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता के सम्पर्क तैयार रखिए।
- सरकार के कोविड कंट्रोल रूम के नंबर तैयार रखिए।
- जिलाधिकारी के कोविड कंट्रोल रूम का नंबर तैयार कर लीजिए।
- परिवार में भले कोई कोविड मरीज ना हों। लेकिन प्राथमिक उपचार की रणनीति बना कर रखिए। प्राथमिक रणनीति पर जो भी विचार करना हो, अभी से तैयार करके रखिए। आयुर्वेद, एलोपैथ, होम्योपैथ, जिस पर आपको विश्वास हो, वो दवाएं आपके किट में तैयार हो।
- रणनीति का अहम हिस्सा है, परिवार में यदि कोई कोविड निकला तो आइसोलेशन रूम तैयार रहे। मरीज के भोजन का प्रबंध भी। दवा किट, इन्हेलर सब कुछ रेडी हो।
- परिवार में हर सदस्य को इस रणनीति, आपके दवा किट की जानकारी हो। हर सदस्य स्वयं में पूर्ण योद्धा हो। युद्ध में किसी एक पर आश्रित होना, आत्मघाती है।
- हर सदस्य को मानसिक रूप से तैयार रहने को बोलिए। संकट पर चर्चा या विमर्श ना करना “चुप” रहने से भी ज्यादा खतरनाक है। खासकर, हिन्दू परिवार अनिष्ट के डर से ऐसी चर्चाओं से बचते हैं। यही वजह है, ऐन समय हाथ-पांव फूल जाते हैं।
- जो भी नंबर आपने एकत्र किए हैं, टटोल कर परख लीजिए। काम कर रहे हैं या नहीं? यदि नहीं तो सक्षम अधिकारी को फोन कीजिए। ट्वीट कीजिए। भले आपकी जरूरत ना हो, पर हर पल बढ़ते मरीजों के परिजनों के लिए यह भी एक सेवा है। मृत नंबर को सक्रिय करवाना भी यज्ञ है।
- यह नंबर आपके काम भले ना आएं, लेकिन सोशल मीडिया में किसी जरूरतमंद को सूचना देने के योग्य तो आप रहेंगे।
- आपके परिचितों में कोरोना शिकार हुए मरीज या उनके परिजन का साहस बंधाते रहिए। लेकिन मरीज को तभी फोन करें, जब वाकई आप किसी को प्रेरित करने में सक्षम हों, और मरीज आपसे बात करना चाहे। यदि आप चाट टैप हैं तो कृपा करके रहने दें।
- अपने एटीएम पासवर्ड, अकाउंट डिटेल, फोन पासवर्ड परिवार के सभी सदस्यों के लिए खोल दें। आपस में साझा कर लें। कोई भी प्राइवेसी मरणांतक हो सकती है इमरजंसी में।
याद रखें…इस संकट का मुकाबला कोई भी सरकार अकेले अपने दम पर नहीं कर सकती। समाज को साझा होना पड़ेगा। साझा समाज ही जीवन की आशा है। व्यवस्था पर चर्चा बाद में कभी कर लेंगे। यह भी याद रखें, रक्षात्मक रणनीति खड़ी करना कोई नासमझी या नकारात्मकता नहीं। संघर्ष जीतने का मंत्र है। आप भले घर में हों.. लेकिन युद्ध भूमि से स्वयं को बाहर समझने की भूल कतई ना करें।