चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया। इस दौरान कैमरा भी हाथ में था सो कुछ तस्वीरें ऐसी भी ली जो भले ही चुनाव के काम की न हो लेकिन बीकानेर को प्रदर्शित करने वाली हो सकती हैं।
मैंने अपनी नजर से बीकानेर को पेश करने का प्रयास किया है। कुछ ऐसा है मेरा बीकाणा…
छोटा फॉर्म हाउस। वैसे रेगिस्तान में अरंडी का पेड़ भी वृक्ष की शोभा पाता है। यहां तो सचमुच का पेड़ है। हां भरा नहीं है लेकिन पूरा है। पुराने तरीके की झोंपड़ी। आजकल तो बीकानेर में टूरिज्म के लिहाज से भी झोंपडि़यां बनने लगी हैं। उनमें एसी और कूलर भी लगे होते हैं।
धोरों पर बनने वाली ये लकीरें आम दिनों में अधिक स्पष्ट होती है। मैं जिस क्षेत्र में था वहां वनस्पति बढ़ने लगी है सो धोरे कम हो रहे हैं और धूल की लकीरें भी।

भीषण गर्मी में कीकर की छांव में भेड़ें आराम फरमा रही हैं।
रेगिस्तान के जहाज के लिए चालीस डिग्री तापमान कुछ भी नहीं है। वह आराम से बैठा है। 🙂