ऑनलाइन अध्यापन सीखना- मेरा कोरोना वर्ष अनुभव12

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#कोरोना#अनुभव
अल्का पुरोहित का फलोदी से आप सभी सखियों को जय श्री कृष्ण,
परिवर्तन संसार का नियम है और इस परिवर्तन को हम अपने जीवन में देखते हैं तथा उसका अनुभव करते हैं परंतु पिछले कुछ महीनों में मानव जाति के इतिहास में तथा देश और दुनिया में जो परिवर्तन हुआ वह शायद ना पहले कभी हुआ और ईश्वर ना करें कि भविष्य में फिर कभी हो। कोरोना महामारी ने देश और दुनिया को पूरी तरह से अंदर तक हिला कर रख दिया, इन सब का अनुभव हमने भी किया
मैं एक शिक्षिका हूं उस समय विद्यालय में परीक्षा चल चल रही थी। मुश्किल से दो ही परीक्षाएं हो पाई थी और फिर सरकार नए लॉकडाउन का निर्णय लिया और परीक्षाएं रद्द करनी पड़ी तथा विद्यालय बंद हो गया। मेरे पतिदेव की एक छोटी सी दुकान है इस वजह से उन्हें कभी भी छुट्टी नहीं मिलती थी ।बच्चों को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि पापा उनके साथ कभी नहीं खेलते , कोरोना ने बच्चों की इस शिकायत को दूर कर दिया और मुझे भी इनके साथ समय बिताने का अवसर मिला ।सबसे ज्यादा खुशी तब मिलती थी जब हम पूरा परिवार एक साथ बैठकर रामायण देखते थे और मजे की बात तो यह है कि रामायण का असर हमारे पूरे परिवार पर हुआ बच्चे भी पापा से पिता श्री और मम्मी से माता श्री पर आ गए तथा मैं अभी भी इन्हें स्वामी ही कहती हूँ। यहां तक की फोन में भी उनका नाम स्वामी ही है।
कुछ दिनों पश्चात विद्यालय के द्वारा हमें अपने विद्यार्थियों को ऑनलाइन अध्ययन कराना पड़ा जो कि एक बहुत ही अच्छा अनुभव रहा। विद्यार्थियों के लिए भी कुछ नया था यह अनुभव। इसके अलावा मुझे टिक टॉक बनाने का बहुत शौक था उस शौक को मैंने पूरा किया नए नए व्यंजन बनाएं। यह तो रहे सुखद अनुभव, परंतु इसके अलावा भी ऐसे अनुभव हुए जो हृदय विदारक थे ईश्वर ऐसे अनुभव किसी को भी ना कराये। हम स्वयं को तो अपने घर के अंदर सुरक्षित महसूस करते थे परंतु उनका क्या जो अपने घर से दूर थे तथा जिन्हें दो वक्त का भोजन भी नहीं मिल पा रहा था। बहुत से लोग इस महामारी की चपेट में थे। यह सब देख कर बहुत बुरा लगता था कभी-कभी तो आंखें भी भीग जाती थी परंतु हम कुछ कर नहीं सकते थे केवल उनके लिए प्रार्थना ही कर सकते थे। तब ईश्वर को धन्यवाद देते थे हमें इतना कुछ देने के लिए। घर में बुजुर्ग सास ससुर होने के कारण उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखना एक चुनौती से कम नहीं था क्योंकि ससुर जी को घर से बाहर जाने की आदत थी। एक समय ऐसा भी आया जब मैं तनावग्रस्त भी हो गई थी, घर में रहना मुश्किल से हो रहा था, घूटन सी महसूस होने लगी थी परंतु पतिदेव ने इस वक्त मेरा पूरा साथ दिया और मुझे इस तनाव से बाहर निकाला।
परिस्थितियां अभी भी वैसे ही है ,यह समय धीरज रखने का है। संकट की इस घड़ी में देश और समाज को बचाने की जिम्मेदारी हम सब की है। हम सभी को समान रुप से इसके लिए अपनी- अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए ।इस बुरे वक्त में शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्थिति को सामान्य रखना भी एक बड़ी चुनौती है।
मैं ईश्वर से आपके और आपके परिवार के मंगल की कामना करती हूँ।आप घर पर रहें तथा सुरक्षित रहें।जय हिंद …जय भारत…!!!

लेखिका – अलका पुरोहित