उड़ान के इंतजार में है दिल – मेरा कोरोना वर्ष अनुभव 42

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कोरोना का अनुभव
कोरोना के कारण सब कुछ थम सा गया है कोर्ट बन्द पति का कारोवार बन्द बेटी का कॉलेज बन्द 10-12दिन ठीक लगा उसके बाद सामाचार देख-देख कर मन मे भय बढता गया आर्थिक परेशानी मै जो लोग आए उनमे से कुछ की ही मदद कर पाए बिमार की बिमारियॉ बढ गई परिवार के लोग देश विदेश मे विखरे हुए है सभी तरफ चिन्ताए बढ गई। आप अपनी मर्जी का जीवन ना जी पाए और बन्धन वाला जीवन मिले वो भी इस डर के साथ की ना जाने कब क्या हो तो ऐसे मे मन बहुत खुश तो नही ही रहेगा लेकिन हॉ समस्या है तो उसका सामना करना ही है बस तो पाक कला को विस्तारित करके बेटी और पति के साथ मिलकर काम हसी मजाक जितना भी रचनात्मक काम हो सकता है करना फोन से रोज सबसे बात करना जरूरत मन्दो की जितना मदद हो पाए उतना करना बस ये बुरा समय बीत जाए इस इन्तिजार मे दिन काट रहे है।

लेखिका- ज्योत्स्ना शंकर सिंह