अभी किसी से आत्मा और परमात्मा के संबंध पर बात हो रही थी। वहीं मुझसे किसी ने पूछा कि आपका ब्लॉग काम कैसे करता है। मैंने बताया कि इंटरनेट में एक सुपर कम्प्यूटर से तार के जरिए दुनियाभर के कम्प्यूटर जुड़े होते हैं। इतने में यह बात क्लिक हुई कि ईश्वर यानि परम पिता और सामान्य आत्मा तथा सुपर कम्प्यूटर और पीसी में रिलेशन के तरीके और कार्य करने के तरीके में बहुत अधिक समानताएं हैं। कैसे एक एक कर बताने का प्रयास करता हूं।
परमपिता: वह जिससे यह सृष्टि शुरू हुई है। जो इसे नियंत्रित करता है। जो सभी आत्माओं के बीच सेतु का कार्य करता है। जो संवाद स्थापित करने का कार्य करता है। सभी आत्माएं उसी से मिलने का प्रयास करती हैं। एक आत्मा पूर्णता प्राप्त कर परमपिता परम ब्रह्म बन जाती है।
आत्मा: परमपिता से अलग होकर पृथ्वी पर आया उसी का अंश, अपूर्णता के बावजूद खुद का अलग वजूद, हर आत्मा अन्य आत्माओं से जुड़ी होती है। पूर्णता के लिए प्रयास करती है। इस प्रयास के चलते वह ऊंचे आयाम प्राप्त करती है। एक दिन परमपिता के पास पहुंच जाती है। वह जो कुछ करती है वह उसे वृहद् स्तर पर पहुंचाने के लिए वह परमपिता से प्रार्थना करती है।
सुपर कम्प्यूटर: इंटरनेट का आधार तैयार करता है (विर्चुअल वर्ड), पीसी इससे जुड़ते हैं, इसका खुद का डाटाबेस होता है जो पीसी के लिए उपयोगी होता है। पीसी इसमें इनपुट करते हैं और एक से दूसरे स्थान तक यह सुविधाएं, सेवाएं और इनपुट पहुंचाता है। जैसे जैसे पीसी का विकास होता है इसके द्वारा तैयार डाटा बेस और वेबजाल का भी विकास होता जाता है।
पीसी: यह तीन तरह से काम करता है। एक खुद के सी और डी ड्राइव में और लेन में अन्य ड्राइव में तथा इंटरनेट पर। जिस पीसी का जितना जुड़ाव होता है वह उतना ही अधिक उपयोगी होता है। ब्राउजर में जितने अधिक एडओन होंगे इंटरनेट पर उसका जुड़ाव उतना ही अधिक स्मार्ट होगा।
जिस तरह ईश्वर की आराधना करने के कई तरीके होते हैं वैसे ही इंटरनेट से सुपरकम्प्यूटर तक पहुंचने के लिए गूगल के क्रोम, मोझिला के फायरफॉक्स, माइक्रोसॉफ्ट के इंटरनेट एक्सप्लोरर और एप्पल के सफारी से गूगल,याहू, एमएसएन आदि से सम्पूर्णता को प्राप्त करने का प्रयास किया जा सकता है।
इति साधू: