आर्थिक परेशानियां – मेरा कोरोना वर्ष अनुभव 19

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#कोरोना #अनुभव

शुरू में तो कुछ समझ नहीं आया कि ये क्या बला है।लेकिन जैसे ही टीवी में चीन के लोगों की लाशें बिछी दिखी दिल सहम गया।जिस तरह से लाशों को लावारिस बनाकर ले जाना,घर परिवार वालों को मुंह तक न दिखाना… वहां का खतरनाक मंजर देखकर दिल दहल गया।
फिर कोरोना के विषय पर गंभीर हुई।मोदीजी का इस विषय पर पहला संदेश सुना तो लगा कि हां यही सही है जो ये बोल रहे हैं और उनके आदेशों का अक्षरसः पालन किया और सबको इस बारे में नसीहतें भी दी।
लॉकडाउन लगा तो सभी परिवार के सदस्य एकसाथ थे।टीवी पर रामायण और महाभारत शुरू हो गये तो सभी जैसे नौं बजे का इन्तजार करते और एक ही रुम आकर बैठ जाते…ऐसा लगा जैसे हम खुद रामायण महाभारत काल में पहुंच गये हैं…इसके साथ ही पति और बच्चों की फरमाइशों का भोजन बनना।रोज एक नई डिश।मतलब इन क्षणों को एंजॉय किया।लेकिन जब मजदूर परिवारों की दशा देखी तो मन व्यथित हो गया।हालांकि कुछ परिवारों की जितनी हो सके मदद भी की लेकिन आखिर कहां ं तक उनकी पूरी जिंदगी का सवाल था।
कुछ समय तक लॉकडाउन के दिनों को एंजॉय भी किया, बहुत सी नई नई डिशे भी बनानी सीखी,बच्चों और पति के साथ पूरा समय भी अच्छे से व्यतीत किया लेकिन धीरे धीरे यह समय डर में तब्दील होने लगा जब कोरोना ने भारत में पैर पसारने चालू कर दिये और अब हमारे शहर में भी।
शहर में अभी वापस लॉकडाउन और कर्फ्यू लगा दिया गया है।आज की तारीख में सौ से ऊपर मरीज रोज आ रहे हैं।यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है।फिलहाल अभी लॉकडाउन के संदर्भ में मेरा तजुर्बा बिल्कुल अच्छा नहीं है,आर्थिक दृष्टि से देखें तो प्राइवेट काम वाले यहां तक कि बड़े बड़े बिजनेसमैन की स्थिति खराब है ,और शहर में बढ़ते कोरोना कहर के चलते हर समय परिवार के सदस्यों के प्रति डर लगा रहता है।हालांकि सभी सावधानी रखते हैं लेकिन मेल सदस्यों को तो काम/नौकरी के लिए बाहर निकलना ही पड़ता है।और निकलना ही पड़ेगा। वैसे सबको मैं भोजन में वही चीजेँ देने की कोशिश करती हूं जिससे इम्युनिटी बढ़े क्योंकि अपनी इम्यूनिटी पावर से ही हम इसको हरा सकते हैं।
लेेखिका-        Gayatri joshi